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प्रचार थाय तेनी रूकावट न करी अने आवी विशाळ दृष्टि राखी तेओए मूल स्त्रो लेवानो निषेध कयों नहि जेथी मूलपाठो तेना तेज दाखल कर्या .
आ भगवतीमत्रना भाषान्तर माटे खास करी बावुनुं छापेल भगवती, श्रीयुत पंडित वेचरदासकृत अनुवाद, स्थानकवासी तरफथी प्रसिद्ध थयेल भगवती तथा आगमोदयसमिति अभयदेवमरीश्वरजीमहाराजनी टीकावा भगवतीसूत्र वगेरेनो आशर लइ तद्दन नवी प्रेसकोपी करी छपाब्यु . उपर्युक्त तमाम ग्रंथोनी सामग्री अत्रे बिराजता अंचलगच्छाधीश मुनिमहाराज श्रीगौतमसागरजी महाराज तरफथी मळेल के जेथी तेमनो तथा उपर्युक्त महाशयोनो आभार मानू .
आ श्रीमद्भगवतीम्बना छ भाग थशे. तेमा प्रथम भागमा ३ शतक आप्या थे. आ सूत्रमा अमाराथी, प्रेसदोपथी अथवा लेखकथी जे काइ अशुद्ध विपरीत लखायूं होय ते वाचकगण क्षन्तव्य गणी अमोने आभारी करशे. आरीते प्रथम भाग माटे वे शब्द | लख्या छे अने बीजा भागनु प्रकाशन तुरत थाय एवी शासनदेवी प्रत्ये प्रार्थना करी विग्मई. संवत् १९९३
दि० सेवक फागण वद.
थालचंद हीरालाल-जामनगर.
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