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[प्र०] राजगृह नगरमा यावत्-पर्युपासना करता आ प्रमाणे बोल्याः-हे भगवन ! असुरकुमार देवो उपर केटला देवो अधिव्याख्यान | पतिपणुं भोगवता यावत्-विहरे छे! [उ०] हे गौतम ! अधिपतिपणुं भोगवता दस देवो रहे छे, असुरेंद, असुरराज चमर, सोम,
11 शतके प्रज्ञप्ति चम, वरुण, वैश्रमण, वेरचनेंद्र, वरोचनराज बलि, सोम, यम, वरुण अने क्श्रमण. [प्र०] हे भगवन् ! नागकुमार देवो उपर केटला
उद्देशः८ ॥३१॥ देवो अधिपतिपणुं भोगवता विहरे छे ! [उ०] हे गौतम ! अधिपतिपगुं भोगत्रता यावत्-दस देवो रहे के, ते आ प्रमाणेः-नाम- ॥३१८॥
मारेंद्र, नागकुमारराज धरण, कालवाल, कोलवाल, शैलपाल, शंखपाल, नागकुमारेंद्र, नागकुमारराज, भूतानंद, कालवाल, कोलवाल, शखबाल अने शैलपाल, जेम नागकुमारोना इंद्रो संबंधे ए वक्तव्यतायी जणान्यु तेम आ देवो संबंधे पण समजवू. सुवर्णकुमारोना उपरीओ, वणुदेव, वेणुदालि, चित्र विचित्र, चित्रपक्ष अने विचित्रपक्ष छे. विद्युत्कुमारोना उपरीओ हरिकांत, हरिसह, प्रभ, सुप्रभ, प्रभाकान्त, अने सुप्रभाकान्त छे. अग्निकुमारोना उपरीओ अग्निसिंह, अग्निमाणव, नेजः, तेजसिंह, तेजःकान्त अने तेजःप्रभ छे, द्वीपकुमारोना उपरीओ, पूर्ण, विशिष्ट, रूप, रूपांश, रूपकांत, अने रूपाभ छे उदधिकमारोना उपरीओ-जलकान्त, जलप्रभ, जल, जलरूप, जलपान्त अने जलप्रम छे. दिक्कुमारोना उपरीओ-अमितगति, अमितवाहन, त्वरितगति, क्षिप्रगति, सिंहगति अने सिंह
विक्रमगति के वायुकुमारोना उपरीओ:-घोष, महापोष, आवर्त, व्यावर्त, नंदिकावर्त, अने महा नंदिकात छे. ए प्रमाणे बधुं ४ असुरकुमारोनी पेठे कहे. दक्षिण भवनपतिना इंद्रोना प्रथम लोकपालोना नामो आद्य अक्षरे आ प्रमाणे छे:
सो०१ का २चि०३१०४ ते०५१०६ ज०७ तु०८ का०९आ०१०, पिसायकुमाराणं पुच्छा, गोयमा! दो IPIदेवा आहेवचं जाव विहरंति, तंजहा-काले य महाकाले सुरूवाडिरूव पुनभहे य । अमरवह माणिभद्दे भीमे या
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