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व्याख्याप्रज्ञप्तिः
॥२४२॥
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हा से बातचीत करवा माटे समर्थ छे तथा पासे आववा संबंधे जणान्युं तेम बातचीत संबंधे पण समज. [प्र०] हे भगवन् ! ते देवेंद्र, देवराज शक्र अने ईशान बच्चे प्रयोजन के विधेय- कार्य होय छे. [उ०] हे गौतम ! हा, होय छे. [प्र० ] हे भगवन् ! हमणा तेओ पोतपोताना कार्योंने केवी रीते करे छे ? [उ०] हे गौतम ! ज्यारे देवेंद्र, देवराज शक्रने कार्य होय त्यारे ते देवेंद्र, देवराज ईशाननी पासे प्रादुर्भावे छे=आवे छे. अने ज्यारे देवेंद्र देवराजईशान ने कार्य होय त्यारे ते देवेंद्र, देवराज शनी पासे आवे छे तेओनी परस्पर बोलवानी रीती आवी छे:- हे दक्षिण लोकार्थना धणी देवेंद्र देवराज शक्र ! अनं हे उत्तर लोकार्धना धणी देवेंद्र देवराज ईशान ! ए प्रमाणे संबोधने संबोधी तेओ पोतपोतानुं कार्य करता रहे छे. ॥ १३८ ॥
अस्थि भंते! तेर्सि सक्कीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं विवादा समुप्पांति ?, हंता ! अस्थि । से कहमिदाणि पकरेंति ?, गोयमा । ताहे चेव णं ते सकीसाणा देविंदा देवरा याणो सणकुमारं देविंदं देवरायं मणसीकरेंति, तए णं से सणकुमारे देविदे देवराया तेहिं सकीसाणेहिं देवि देहिं देवराईहिं मणसीकए समाणे विप्पामेव सक्कीसाणाणं देविदाणं देवराईणं अंतियं पाउन्भवति, जं से वदह तस्स आणाउववायवयणनिद्देसे चिट्ठति ॥ ( सू० १३९ ) ॥
[प्र० ] हे भगवन् ! ते बने देवेंद्र, देवराज शक्र अने देवेंद्र, देवराज ईशान - बच्चे विवादो थाय छे ? [अ०] हे गौतम हा, ते बने बच्चे विवाद थाय छे. [अ०] हे भगवन् ! ज्यारे ते वे बच्चे विवाद थाय छे त्यारे तेओ शुं करे छे ? [उ०] हे गौतम! ज्यारे ते वे बच्चे विवाद थाय छे त्यारे तेओ, देवेंद्र, देवराज सनत्कुमारने संभारे छे अने संभारतांज ते देवेंद्र, देवराज सनत्कुमार
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३ शतके
उद्देशः १
॥२४२॥