________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शतक
व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१८९॥
उद्देशः ८
॥१८९॥
उच्चत्तणं १२५ अद्धं विक्खंभेणं उचरियलणं सोलसजोयणसहस्साई आयामविक्वंभेणं पनास जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउयजोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खवेणं सव्वप्पमाणं वेमाणियप्पमाणस्स अद्धं नेयब्व, सभा सुहम्मा, उत्तरपुरच्छिमे णं जिणघरं, ततो उववायसभा हरओ अभिसेय. अलंकारो जहा विजयस्स संकप्पो अभिसेयविभूसणा य ववसाओ। अचणिय सिद्धायण गमोवि य णं चमर परिवार इत्तं (सू० ११५) ॥ बीयसए अट्ठमो॥२-८॥ ___ आठ योजननी मणिपीठिका छे चमरनुं सिंहासन परिवारसहित कहे. हवे ते तिगिच्छककूट पर्वतनी दक्षिणे अरुणोदय समु-16 द्रमा छसेंपंचावन क्रोड, पांत्रीस लाख, अने पचावनहजार योजन तीरछु गया पछी नीचे रत्नप्रभा प्रथिवीनो ४० हजार योजन जेटलो भाग अवगाया पछी-ए ठेकाणे-अमरेंद अने असुरना राजा चमरचंचा नामनी राजधानी छे ते राजधानीनो आयाम अने | निष्कंभ एक लाख योजन छे ते राजधानी जंबूद्रीप जेवडी छे. तेनो किल्लो १५० योजन उंचो के, ते किल्लाना मूळनो निष्कंभर पचास योजन हे, तेना उपरना भागनो निष्कंभ साडातेर योजन के, तेनां कांगरानी लंबाइ अधो योजन के अने पहोला एक
कोश के तथा ते कांगरानी उंचाइ अडधा योजनथी कांइक ऊणी छे. वळी एक बाहुमां पांचसो पांचसो दरवाजा छे अने नेनी ४ उचाइ २५० योजन छे उंचाइ करतां अडधो विकंभ छे, घरनी पछीतना वंच जेवा भागने आयाम अने विष्कम सोळहजार योजन
के. अने तेनो परिक्षेप ५०५९७ योजन करतां कांइक विशेषोन ले. सर्व प्रमागवडे मानिकना प्रमाण करतां अहीं बधुं अधुं प्रमाण जाण. सुधर्मासभा, उत्तर अने पूर्वमा जिनगृह, त्यारबाद उपगत सभा, हृद, अभिषेक अने अलंकार ए सबलु विजयनी पेठे
For Private and Personal Use Only