________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandir
॥१७५॥
व्याख्या-याओ चेइयाओ पहिनिक्खमंति २ जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया ॥ तए णं ते थेरा अन्नया| प्रज्ञप्तिः कयाई तुंगियोओ नयरीओ पुप्फवतिचेइयाओ पडिनिगच्छन्ति २ पहिया जणवयाविहार विहरन्ति (मृ०१०९) ॥१७५॥ ___पछी ते स्थविर भगवंतोए । श्रमणोपासकोने तथा ते मोटामां मोटी सभाने चार महाव्रतवाळा धर्मनो - उपदेश कयों अने
केशिस्वामीनी पेठे ते श्रमणोपासके पोतानी श्रमणोपासकतावडे ते स्थविर भगवंतोनी आज्ञानुं आराधन कर्यु अने ए प्रमाणे धर्म कयो. ते श्रमणोपासको ते स्थविर भगवंतो पासेथी धर्मने सांभळी, अवधारी, हर्षवाळा, संतुष्ट, अने विकसित हृदयवाळा थया अने तेओए ते स्थविरोने प्रणवार प्रदक्षिणा करी बण जातनी सेवावडे ते स्थविरोनी पर्युपासना करी आप्रमाणे कधु के:- [म.] हे भगवन् ! संयममुं फळ शुं छे ? हे भगवन् ! तपY फळ शु छ ? [उ०] त्यारपछी ते स्थविर भगवंतोए ते श्रमणो पासकने आ प्रमाणे कयु के:-हे आर्यो ! संयमर्नु फळ आस्रवरहितपणुं छे अने तपर्नु फळ व्यवदान छे. आ उत्तरथी संयमने आराधबाथी देव थवाय छे, एं वात बंध वेसती नथी माटे फरीथी पूछे छे के:- [प्र०] हे भगवन् ! देव देवलोकमां उत्पन्न धाय के तेनुं शुं कारण ? [उ०] आ प्रश्ननो उत्तर देवा ते स्थविरोमांना कालिकपुत्र नामना सविरे ते श्रमणोपासकने आ प्रमाणे कj के:हे आर्यो ! पूर्वना तपवडे देवो देवलोकमां उत्पन्न थाय छे. पछी ते स्थविरोमांना मेधिल नामना स्थविरे ते श्रमणोपासकोने आ प्रमाणे कई के:-हे आर्यों पूर्वना.संयमबडे देवो देवलोकयां उत्पन्न थाय छे. पछी तेमांना आनंदरक्षित नामना स्थविरे ते श्रमणो पासकोने आ प्रमाणे कहां के:-हे आर्यो ! कामपणाने लीधे देवो देवलोकमा उत्पन्न थाय छे अने पछी तेमांना काश्यप स्थविरें | श्रमणोपासकने आ प्रमाणे कयु के-हे आर्यो ! संगिपणाने लीधे देवो देवलीकमा उत्पन्न थाय छे. अर्थात् हे आर्यों ! पूर्वना तंप
For Private and Personal Use Only