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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥११९॥ ॥११९॥ पुद्गलो एक एक परस्पर चोटी जाय छे. अने ते बे परमाणु पुद्गलो परस्पर चोंटी जाय छे तेनुं शुं कारण ? बे परमाणु पुद्गलोमां चीकाश छे, माटे बे परमाणु एक एकने परस्पर चोंटी जाय छे. अने ते वे परमाणु पुद्गलोना वे भाग थइ शके छे. जो ते बे परमाणु पुद्गलोना चे भाग करवामां आवे तो एक तरफ एक परमाणु पुद्गल अने बीजी तरफ एक परमाणु पुद्गल छे." त्रण परमाणु पुद्गलो एक एक परस्पर चोंटी जाय छे. अने ते त्रण परमाणु पुद्गलो परस्पर चोंटी जाय छे तेनु शु कारण ? व्रण परमाणु पुद्गलोमां चीकाश छ माटे त्रण परमाणु पुद्गलो एक एक परस्पर चोंटी जाय छे, अने ते त्रण परमाणु पुद्गलना बे तथा त्रण भाग थई शके छे. जो तेना बे भाग करवामां आवे तो एक तरफ एक परमाणु पुद्गल आवे छे अने एक तरफ वे प्रदेशवाळो एक स्कंध | आवे छे. जो तेना त्रण भाग करवामां आवे तो एक एक एम त्रणे परमाणुओ जुदा जुदा थइ जाय छे. आ प्रमागे चार परमाणुओ | संबंधे पण जाणवू." पांच परमाणु पुद्गलो एक एक परस्पर चोंटी जाय छे. अन ते परस्पर चोंटो गया पछी एक स्कंधरुपे बनी |जाय छे तथा ते स्कंध अशाश्वत छे अने हमेशा सारी रीते उपचय पामे छे, अपचय पामे छे. "पूर्वनी भाषा अभाषा हे, बोलाती भाषा भाषा छे. अने बोल्या पछीनी भाषा अभाषा डे" जे पूर्वनी भाषा अभाषा डे, बोलाती भाषा अभाषा छे अने बोल्या पछीनी अभाषा ने. तो शुं ते बोलता पुरुषनी भाषा छे के अबोलता पुरुषनी भाषा के ? [उ०] ते बोलता पुरुषनी भाषा हे. पण अबोलता पुरुपनी तो भाषा नथीज.” पूर्वनी क्रिया दुःख हेतु नथी, तेने पण भाषानी पेठेज जाणवी. करणथी ते दुःख हेतु छे, पण अकरण थी ते दुःख हेतु नथीज. ए प्रमाणे कडेवाय.” कृत्य दुःख छ, सृश्य दुःख हे, क्रियमाणकृत दुःख छे, तेने करी करीने प्राणो, भूतो, जीवो अने सत्वो वेदनाने वेदे के. एम कहेवाय. ॥ ८१ ।। For Private and Personal Use Only
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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