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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः
॥ ११६ ॥
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दुहा कमाणा एगयओ दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवति, एगयओवि विड्ढे पर० पो० भवति, तिहा कज्जमाणा तिष्णि परमाणुपोग्गला भवंति एवं जाव चत्तारि पंच परमाणुपो० एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कति, | दुक्खेऽवि यणं से सासए सया समियं उवचिजह य अवचिज्जइ य । पुवि भासा भासा, भासिनमाणी भासा अभासा, भासासमयवीतितं च णं भासिया भासा, जा सा पुवि भासा भासा, भासिज्माणी भासा अभासा, भासासमयवीतितं च णं भासिया भासा, सा किं भासओ भासा अभासओ भासा ?, अभासओ णं सा भासा, नो खलु सा भासओ भासा । पुत्रि किरिया दुक्खा, कज्ज़माणी किरिया अदुक्खा, किरियासमयवीतितं च पणं कडा किरिया दुक्खा, जा सा पुव्विं किरिया दुक्खा कलमाणी किरिया अक्खा किरियासमयवीत चणं कडा किरिया दुक्खा सा किं करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा ?, अकरणओ णं सा दुक्खा, णो खलु सा अकरणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया-अकिचं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकलमाणकडे दुक्खं अकडु अकहु पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदंतीति वक्तव्वं सिया ॥ से कहमेयं भंते ! एवं १, गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्खति जाव वेदणं वेदतीति वक्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंस, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि एवं खलु चलमाणे चलिए जाब निज्ारिजमाणे निज्जिपणे, दो परमाणुपोग्ला एगयओ साहणंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति ?, दोन्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ सा०, ते भिज्जमाणा दुहा कज्जति, दुहा कज्ज़माणे एगयओ पर०
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९ शतके
उद्देशः १> ।।११६।।