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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥१०३॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुए, नो लहुए, गुरुयलहुए, नो अगुरुयलहुए। एवं सत्तमे घणवाए सत्तमे घणोदही सत्तमा पुढवी, उवासंतराई सव्वाई जहा सत्तमे ओबासंतरे, (सेसा) जहा तणुबाए, एवं ओवासवायघणउदहि पुढवी दीवा य सागरा वासा । नेरइयाणं भंते! किं गुरुया जाव अगुरुलहुया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयावि अगुरुलहुयावि से केणद्वेणं० १, गोयमा ! वेउब्वियतेयाई पडच नो गुरुया नो लहुया, गुरुयलहुया, नो अगुरुयलहुया, जीवं च कम्मणं च पडूच नो गुरुया नो लहुया नो गुरुयलहुया अगुरुयलहुया, से तेणद्वेणं जाव बेमाणिया, नवरं णाणत्तं जाणियव्वं सरीरेहिं । धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए चंउत्थपरणं । पोग्गलत्थिकाए णं भंते । किं गुरुए। लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! णो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुएवि अगुरुयलहुएवि से केणट्टणं० १, गोयमा ! गुरुयलहुपदत्र्वाई पडुच नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए, अगुरुयलहुयदवाई पडुच नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुपलहुए, समया कम्माणि य चउत्थपदेणं । कण्हलेसा णं भंते! किं गुरुया जाव अगुरुयलहुया ?, गोयमा ! नो गुरुया नो लहुया गुरुयलहुयाबि अगुरुयलहुयावि, से केणट्टेणं० ?, गोयमा ! दव्वलेसं पडुच ततियपदेणं, भावलेस पहुच चउत्थपदेणं, एवं जाव सुकलेसा, दिडीदंसणनाणअन्नाणसण्णा चउत्थपदेणं णेयव्वाओ, हेडिल्ला चत्तारि सरीरा नायव्या ततियपदेणं, कम्म य चउत्थयपपणं, मणजोगो वइजोगो चउत्थएणं पदेणं, कायजोगो ततिएणं पदेणं, सागारोवओगो अणागारोवओगो चउत्थपदेणं, सच्चपदेसा सव्वदच्वा सव्वपज्जवा जहा पोग्गलत्थिकाओ, तीतद्धा अणागयद्धा सब्बद्धा चउत्थपूर्ण For Private and Personal Use Only १ शतके उद्देशः ९ ॥ १०३ ॥
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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