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७७०
पृष्ठ कॉलम पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ कॉलम वनि अशुद्ध शुद्ध ६८५ २ १६ ऊर्द्धरता ऊद्ध रेता
कपड़े से ढंकदें। इससे . , २४ तुन्तुओं तन्तुओ |
सुखपूर्वक पसीने निक,, ३० वास्तविक वास्तविकता
लेंगे। इसको 'अश्मघन , तेखो देखो।
स्वेद'या कीं स्वेद कहते Spirits spirits
हैं। च० सू०.१४। से से से
७६३ १ २५ अभाव प्रभाव Onacardium Anacardium
१ १५ अगाह्य अग्राह्म माग भाग
२ १७ पिकाएँ पकाएँ २४ लोह को लोह की। ७७६ १ १४ दोता होता गाढ़ गाड़
पर ७००
Alargo A large " ३२ ओर और
३१ alikh alikah २८ दोबार दाबारा ७१५ २
अइप पशुक अल्पशुक १ १२ प्रचोन प्राचीन ७१८ २ २३ अल्लाह
१ १ अष्टपादिका अष्टपादिका अगलालग अगलागल ७६५ २ २६ फस्म भस्म ७३१ २ २ उता
उतार
२ ३६ धूस धूसर ७३४ १ ३२ कोरल क्लोरल २ १ अस्कङ्कर अस्कङ्कर ७३७ १ १ नाड्याव सादक नाड्यवसादक
५ तअजज तअजम ७४०, १८ avachinh avachinah
१५ अवस्थ्यावरक अस्थ्यावरक ७१४ २ १६ nssolubility lnsolub
indiucum indicum ility
१ ३५ फ़ इलिय्यल फाइलिय्यह ७५० १ १० रक्तभायुक्त रक्ताभायुक्त ।
, २ २६ सय सडाँध , ,, ३८ asha maasham
,, ३७ प्रमाव
प्रभाव , २ ६ ashitambhl- ashitam
८२५ २ ११ शबर
शंचर avah bhavah
८३० २ १२ Phyllant. Phyllan. ७५६ २ २७ अश्मन स्वेद अश्मघन स्वेदः
husc thus oshmaghanasvedah गी प्रमाण एक
सूचना-पृष्ठ २५ से १२७ तक की हस्तलिपि स्थूल शिला का वातनाशक साफन
साफ़ न रहने के कारण उसमें कुछ अधिक अशुलकड़ियों के अंगार से तप्त द्धिया रह गई ह! आग भा जा खास खास कर उष्ण जलसे धो डाले,
अशुद्धियाँ थीं उन्हें ही यहाँ दिया गया है। शेष पुनः उस पर कम्बल वा
दृष्टि दोष से रहे हुए तथा संशोधन संबंधी एवं रेशमी वस्त्र बिछा कर
प्राकाशकीय सामान्य भूलों के लिए हम पाठकों वातनाशक तैलों द्वारा
के क्षमा प्रार्थी हैं। दो तीन स्थलों पर क्रम में अभ्यङ्ग किए हुए रोगीको | भी कुछ ब्यतिक्रम हो गया है। प्राशा है उदार सुखपूर्वक सुला कर रुरु | पाठकगण उसे सुधार कर पढ़ेंगे। मृगके चर्म या रेशमी
-प्रकाशक:
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