________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ग्रंश्वत्थ
अश्वत्थ:
"पीपल वृक्ष के ५ तो० दूध में कुटी एवं छानी - जिस स्त्री के बच्चे बालापस्मार से मर जाते हुई इमली की छिली हुई गिरी १० तो० मिला. हो वह यदि बच्चा पैदा होने के दिन से लेकर कर सुखाएँ । चने का श्राटा २० तो०, गोघृत दो मास पर्यन्त प्रतिदिन पीपल का दूध १ बूंद १ पाव, खाड़ प्राध सेर इनका यथा विधि हलुपा गाय या बकरी के दूध में मिलाकर पी लिया बनाकर उतारने के पश्चात् दुग्ध द्वारा विशेाधित करे तो उसके बालक स्वस्थ रहेंगे। दूध में श्रावइमली का चूण, छोटी इलायची के दामे, केशर श्यकतानुसार मिश्री मिला लेनी चाहिए। १० माशा बारीक करके मिला दें।
...... उन्माद या अपस्मार के कारण अथवा हौल: गणधर्म-कामोद्दीपक, वर्ण एवं मुखमंडल दिल या किसी विष वा मादक द्रव्य वा किसी को कांति प्रदान करता एवं सुन्दर बनाता है । भी प्रकार से हुई मूर्छा में पीपल के दूध के कुछ मात्रा-२ तो० से ३ तो० तक।
बूंद रोगी के कान में टपकाने तथा दूध को समान “यह पुरुषो' के प्रमेह और स्त्रियों के सोमरोग भाग शहद में मिलाकर मस्तक पर प्रलेप करने 'की अपूर्व औषध है । प्रतिदिन प्रातः काल ६ से से रोगी होश में आ जाता है । १२ बूद तक पीपल का दूध एक छोटे बताशे में
अश्वत्थ पूल डालकर मुंह में रक्खें और ऊपर से गाय का
. पीपल की जड़ का मंजन दंतशूल में उपयोगी या भैसका प्राधसेर धारोष्ण दुग्ध पीलिया करें।।
- है । इसकी जड़ की छाल के क्वाथ से विपर्प रोग स्वप्नदोष के लिए यह अत्यन्त लाभदायक है।
. मिटता है। स बारह दिन के सेवन से रोग निमूल हो
पीपल के छोटे वृक्ष जो पेड़ वा दीवारों पर जाता है।
अंकुरित हो जाते हैं उनकी बारीक जड़ वा जड़ पीपल का दूध लगाने से विषादिका (बिवाई)
के एक मृदु बारीक अगले भाग को पीसकर फोड़ो भर जाती है।
पर प्रलेप करने से वे शीघ्र विदीण हो जाते हैं। - "जिस स्त्री के बच्चा पैदा न होता हो और जो
अश्वत्थ मूल स्वक् को छाया में शक करके व्यथासे बेताब हो रही हो उसको तोला भर भैंस
बारीक पीसकर कपड़ छान करें और पीपल की के गोबर को प्राध सेर पानी में पकाएँ, जब चन्द जड़ के रस में चालीम दिन खरल करके शुष्क जोश आ जाए तब छानकर ४ तो० मधु और ११ होने पर ६-६ मापा प्रातः सायं गौ के कोष्ण बू'द पीपल का दूध मिलाकर पिलाएँ । प्रसव दुग्ध के साथ सेवन कराएं। होगा।
गण-पुरुष के वीर्य-दोष एवं निर्बलता में सफ़ेद संखिया को ४ सप्ताह पीपल के दूध में
लाभप्रद है। खरलकर मूंग के दाने के बराबर वटिकाएँ
इसको जड़ की छाले शुक्रसांद्रकर्ता, तथा प्रस्तुत करें । प्रतिदिन एक गोली प्रातः और एक
कामोद्दीपक एवं कटिशूलहर है । बु० मु. । यह रात को सोते समय दूध के साथ खिलाएँ ।
वीर्य स्तम्भक है । म० मु०। दूध गाय या भैंस का = हो और इसमें देशी
पीपल की लकड़ी खाड़ मिला लिया करें । २१ दिन के सेवन से
पीपल की लकड़ी का कटोरा बनाकर उसमें हर प्रकार का रोग दूर होता है।
दूध डालकर स्त्रीको प्रति दिन प्रातः काल पिलाने .. अपथ्य-मादक द्रव्य तथा खटाई।
से बन्ध्यत्व दूर होकर गर्भस्थापन होता है। शुष्क पोदीने का चूर्ण या धतूर की शुष्ककली
जिस घर में साँप हो वहाँ पीपल की लकड़ी "का चूण १० मा० तक लें और इसमें पीपल
जलाकर धुश्रा करने से सॉप निकलकर -भागता का दूध १५-१६ बूंद सम्मिलित कर तमाकू की तरह विजन में पिलाएँ तो वृकतको तत्काल
जिस दिन ज्वर पाने को हो उस दिन लाम होगा।
For Private and Personal Use Only