________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अश्या
":".
अश्रप्रथि
• एक घास जिससे प्राचीन काल में ब्राह्मण लोग | iyadiyyah-अ० दैनिक व्यवहार या स्वभावतः -..- मेखला अर्थात् करधनी बनाते थे । (२) अाच्छा- पीने की वस्तु-जैसे, पानी पोना। हैबिचुअल
दन । छाजन । ढकना । (३) दीपाधार । दीवट । ___डिकस ( Habitual drinks.)-ई० । अश्याफ़ ashyaf-अ० (ब० व०)
अधिबह मुम्बिहरह ashribah-munbih. नोट-शियाफ का बहुवचन प्रश्यान और
hah-अ० शनिदायक तथा उत्तेजक शर्बत । शियान बहुवचन है शाह का । पिचुक्रिया, स्टिम्युलेण्ट ड्रिंक्स(Stimulant drinks) वर्तिका-हिं० । फतीले, बत्तियाँ-फा०, उ० ।
-इ०। (Suppositories.)
अश्रिबह मुलत्ति फ़ह मुरिज़य्यह ashribah. प्रश्यामो ashyāmi-सं० स्त्री० श्वेत त्रिवृता,
mulattifah-imughziyyah-१० ... सफ़ेद निशोथ । po nea turpethum पोषण और लताफ़त (प्रमोद वा हप)प्रदान करने. ( The white var, of-)
वाले शर्बत या द्रव, प्रफुल्लकारक, प्रमोद या भधम् - ashram-सं० जी० ।।.
श्रालादजनक पेया। रेफरीजरेण्ट ड्रिंक्स ( Reअश्रः ashra-हिं०. सज्ञा पू० (१)रुधिर,
fregerant drinks.)-01 रत, शोणित । ( Blood.) अ० टी० । (२) अश्र ashru-सं० क्ली । मन के किसी नेत्रोदक, नेत्राम्बु, सासू। (A tea::.).
अश्रु ashita-हिं० संज्ञा पु० प्रकारके आवेग प्रश्रashraa-० (१) एक ख़ाया (अण्ड) के कारण आँखों में आने वाला जल। नेत्र ... पुरुष अर्थात् वह मनुष्य जिसके एक खायह. | जल | नयन जल । नयनाम्बु । घासू ।
(अण्ड । हो या (२) जिसका एक खाया | (A teal.) चक्षेर जल-बं० । प्रश्क-फा०। .(अण्ड) छोटा और दूसरा बड़ा हो । एक अँड़िया
- श्रम० । प्रादमी, एकाण्ड पुरुष ।
संस्कृत पर्याय-नेत्राम्बु, रोदनं, अश्र, प्रत्रं, ashraja-अ० वह मनुष्य जिसका एक
श्रनु, वाष्पं (अ.), लोचं (ज०)। भरा बड़ा हो तथा दूसरा छोटा या वह मनुष्य
यह अश्रुग्रंथिमें बननेवाला एक स्वच्छ जलीय रस जिसके केवल एक ही अण्डः हो।
है। इसका स्वाद लवण होता है। इसका काम अश्रद्धा ashraddha-सं० स्त्री० अंरोचक, पलकों और अक्षिगोलक के सम्मुख पृष्ठों को तर " अरुचि, श्रद्धा का अभाव । ( Disgust or
रखना है। अशु अधिक बननेकी दशामें ये आँखों Aversion. )
से टपकने लगते हैं। नासिकाका आँखसे सम्बन्ध प्रश्रम ashram-अ० वह व्यकि जिसका नासाग्र
है इसलिए रोते समय अश्र कभी कभी नासिका
में चले जाते हैं और नासारन्ध्र में सेटपकने लगते - कटा हुश्रा हो । वह जिसके दोनों श्रोष्ठों में चीरा
अश्रस. ashras-अ०. अधिक पलक झपकाने अश्रु अङ्कर ashru-ankura-हिं० पुं० प्रथ...वाला मनुष्य । वह मनुष्य जो पलक अधिक ___ वांकुर( Papilla lacrimalis )। नासिका.
- की ओर वाले अपांग में दोनों पलकों के सम्मुख अधि. ashri-हिं० संज्ञा स्त्री [ सं०] घर का किनारों पर दो छोटे उभार होते हैं। इनमें से कोना । अस्त्र शस्त्र की नोक ।
- प्रत्येक को अथ अंकुर कहते हैं। मनिबहः shribah-अ० (ब० व०), शराब, अश्रकोष ashru-kosha-हिं० पु. ( Lacri
शर्बत (५०५०) पेया, पीने की वस्तु ( Dri. | mal sac.) आँसूकी थैली । कीस दम् ई-१०।
nks, Syrups.) देखो-पेया, मद्य । अश्रुगोलम् ashru-golam-सं० क्ली० अनिंबह इअ तियादिश्यह, ashribah-iat- | अश्रुग्रंथि ashru-granthi-हिं० स्त्रीय
For Private and Personal Use Only