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भवलग्नः
भवलम्नः avalagnah-सं० पु.. .
(४) रोत्रा वा ऊन जो गँडरिया एक बार भेंड अवलग्न avalagna--हिं० संज्ञा प.
पर से काटता है। मध्य प्रदेश | शरीरका मध्य भाग | धड़ । माझा। वलीकन्द avali-kanda-मालाकन्द । कन्द -हिं• वि० [सं०] लगा हुश्रा, मिला हुश्रा, लता ।रानि। सम्बन्ध रखने वाला।
| अवलीढ़ avalirha-हिं० वि० [सं०] (1) अवलम्बनः,क: avalambanahi-kah-स'.
भक्षित । खाया हुअा। प्राशित । (२) चाटा प' अवलंबन कफ । पाँच प्रकार के कफों में से
हुप्रा। . एक । श्लेष्मा विशेष । स्थान-हृदय । कर्म-रस
अवलुचनम् avalunchanam-सं० क्ली। , युक्र वीर्य से हृदय के भाग का अवलम्बन और
अवलुश्चन avalunchana-हिं० संज्ञा पु.। - 'त्रिक ( मस्तक और दोनों भुजाओं की संधि)
(१) मुण्डन (Shaving)(२) शैथिको धारण करता है। भा० । देखो कफ।।
- ल्प( Laxity; flaccidity.)त्रुटन । सु० प्रबलस्थित avalanbita-हिं. वि० ( Sus..
15. सू० २५ ०। (३) छेदना । काटना । (४) pended) मुअलिक !
उखाड़ना । नोचना । प्रयलक्षः avalakshah-सं० पु. (१) श्वेत
अवलुचित avalunchita हिं०वि० [सं०] . 'वर्ण, सफेद (White.)। (२) स्वामी ।
मुण्डित । (१) दूरीकृत | हटाया हुआ । अप. (Mercury. ) ..
नीत । (२) खुला या खोला हुआ । (३) भवला avala-सं० स्त्री० नारी, स्त्री | (A wo
कटा हुआ । छेदित । (४) उखाड़ा हुआ | नोचा mail.) रत्ना० । (२) प्रियंगु ( Agaia
हुआ । roxburghiana.)। प्रयोगा०-गलगण्ड ।
अवलुठन avalunthana-हिं० संज्ञा पुं. "मधुलोधावलासर्ज" ।"-मह० ( ३ )
[सं०] लोटना । श्रामला, अँवरा । (Phyllanthus embli
अवलेखना avalekhana-हिं० क्रि० स० - ca, Linn.) स० फा०ई०।
[सं० अवलेखन ] (१) खोदना | खुरचना | अवलाधक avala.gandhaka-मह०
अवलेपः avale-pah -सं० पु० ।। मामलासार गन्धक-हिं० । आँवलासार गंधकद०। (A sort of filphur.) स.
अवलेप avale pa-हिं० संज्ञा पु. ) ()
गर्व, घमण्ड ( Vanity, Pride.)। (२) फा० ई० । देखो-गंधक ।
उबटन, लेपन, लेप, मलहम ( Plaster, अबला avala-गु० (१) तरवड़-हिं० । (Cass
ointment.)। (३) भूषण । ( Ornaia Auriculata, Jinn.) फा० इं०१
ment-) मे० पचतुष्क । भा०। -हिं० पु. (२) वरुण वृत्त, बरना ।
प्रवलेपनम् avalepanam-सं० क्ली० ( Crataeva ta pia. )
प्रवलेपन avalepana-हिं० संज्ञा पु. अवलिप्त avalipta-हिं० वि० [सं०] (१) (१) उबटन । लेपन | लेप । वह वस्तु जो लगाई
लगा हुआ | पोता हुआ। (२) सना हुआ। वा छोपी जाए ( Plaster, ointment.)। प्रासक ।
(२) म्रक्षण, तैल घृत आदि का लेपन या भवली,-लि avali,-li-सं० स्त्रीर, हिं० संज्ञा मईन । तैलादि की मालिश । लगाना । पोतना।
स्त्री० [सं० प्रावलि ] पाँती, लकीर, पति छोपना । (३) अहंकार । (४)दूषण | (A line, a row.)। (२) समूह || अवलेहः avalehah -सं० (हिं० मुड । (३) वह अन्न की डाँट जो नवान्न करने अवलेह avaleha.
संज्ञा) पु, के लिए खेत से पहिले पहिले काटी जाती है। प्रवलेहिका avalehika ) स्त्री० वि०
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