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का शूस.
अक्शूस akshúsa - अ० कस.. सु । श्रकाशवेल (Cuscuta reflexa ) -ले० । अक्स aksa हिंo संज्ञा पुं० (च) अक्स ) ( १ ) प्रतिबिम्ब | छाया । परछाई । ( २ ) चित्र, तसवीर |
अक्स अ aksaã-अ० वह व्यक्ति जिसके मसूढ़े फूलेहीं ।
अक्स. म aksama - अ० मेदावी मनुष्य, वह व्यकि जिसका मेद ( तोंद ) बड़ा हो । कायु लेण्ट ( Corpulent ), फैटी (Fatty ) - इ० । अक्सह aksah-- श्रपाहिज, लोथ, जो अपने स्थान से हिल न सके | क्रिप्ल ( Cripple )
-इं०।
अक्साव aqsába - अ० ( ब० व० ) क्रुस्त्र ( ए० व० ), अंतड़ियाँ, आंत्र - हिं० । ( Intestines )
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अक्हाल
अक्सोरी aksiri - फाo माहिर, कीमिया दाँ, कोमियाँ । कीमियागर | रासायनिक | रसायन शाही | ( Alchemist )
श्रावसोरी श्राक aksiri aka - हिं० पु० प्रसिद्ध पौधा विशेष
पुं० बूटी बवासीर, एक बूटी है जो पृथ्वी से मिली हुई होती है । चैत मास में प्रायः होती है । गुण-रक्त स्थापक, अतिसार नाशक, हामि० यु० मार्च १६२८
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अक्सी बूटी aksiri- buti - हिं० स्त्री० यह एक रसायनी बूटी है जो लग भग १ फुट ऊंची होती है । टहनी तथा पत्र घने, पत्र- जाल- पत्रवत् परन्तु उससे ग्रर्धलम्बे, गम्भीर, हरित वर्णके होते हैं | इससे लौह ताम्र हो जाता है । हामि यु० जून १६३२ ई० ।
अक्सियह, aksiyah - का० जौ की शराब, यवमद्य । ( Barley wine ) असिया uqsiyá- फा० सुफ़ेद माज़रियून | राजा श्वेत ( Clitoria ternatea, | Linn. White) अक्सियानूस aksiyanúsa-यु० जुन्दवेदस्तर | अक्सू स.
तुम्मे
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जुन्द - ० (Castoreum) - ले० | अक्सीर aksira - हिं० छड़ीला ( Nardostachys Jatamansi, D. C. )-o! अक्सीर aksira - ० ( 1 ) वह रस वा भस्म जो धातु की सोना व चांदी बना दे । रसायन, कोमिया, पारस पत्थर, पारसमणि ( Philo sopher's stone ) ( २ ) वह औषधि जो प्रत्येक रोग को नष्ट करे । वह औषधि जिसके खाने से कभी मनुष्य बीमार न हो । वि० व्यर्थ । अत्यन्त गुणकारी । अत्यन्त लाभ कारी । अक्सीर बवासीर aksira-bavasira-हिंο
अ+सुनाफि (फ) न aksunafin, -( phan )
अ० हकीमी माप भेद, यह ६ तोले ११ माशे २ रत्ती अथवा ६ तोले ६ माशे के बराबर होता है ।
अक्सूफैलस aksútailasa - यु० सहसकोई नाम की एक बूटी है ।
अक्सूमानस aksumanasa यु० रतनजोत ( Alkanet ) - ई० ।
श्रवसुमाली aksúmali-यु० सिकञ्जबीन - अ० हिं०, द० सिकवी - फा० ( Oxymel ) aksúsa - [अ०] कासवेल का बीज | कसू सु-फा० Cuscuta Refl(Seeds-of)
अहुल akhala - अ० स्याहचश्म, सरमगीं, आँखवाला | ( २ ) छेदनशास्त्र की परिभाषा में राम को कहते हैं । वह रंग कुहनी के मध्य में भीतर की ओर स्थित हैं । और क़ीफ़ाल
बाली के मिलाप तथा संयोग द्वारा पैदा होती है । चूंकि इसमें क़ीफ़ाल ( Cephalicvein) और बासलीक दोनों से शोणित
ता है इस कारण इसके फ़सद ( रक्तमोक्षण ) से सम्पूर्ण शरीर का रक्त निकलता है। मीडियन कॅलिक (median cephalic ) - इ० । अकूहाल akhála - श्र० ( ० ० ) क
ए० ब० ) सुर्मा, अंजन, नेत्र में लगाने को शुष्कश्रौषध | कॉल्लिरियमूज़ (Collyriums ) - इ० ।
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