________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
६२१
८ तो० अर्क में मिश्री की शर्बत बज्ररी २ तो० सम्मिलित करें |
गुण-धर्म-वस्थश्मरी के लिए अत्यन्त लाभदायक है ।
ii aarqanisún - अ० अर्क बादियान रूमी, रूमी सौंफ का अर्क । एक्का एनिसाई ( Aqua Anisi. ) - ले० ! देखो - अनीसुँ । aarq-afím
फ्यू aarq-afyún
अ । एक्का ओपियाई ( Aqua Opii. ) - ले० | देखो - अफीम ( वा पोस्ता ) ।
- अ० अफीम का
अ असन्तीन ãarq-afsantin- अ० असन्तीन रूमी आध सेर को अ गुलाब ३ सेर में रात को भिगो दें। सबेरे २ सेर पानी और डाल कर ४ बोतल खींचें । पुनः उक्त चक्र में असन्तीन रूमी अघ सेर तथा अर्क गुलाब ३ सेर और पानी दो सेर डालकर दोबारा ४ बोतल खींचें ।
मात्रा व सेवन विधि - डेढ़ तोला यह अर्क,
सौंफ ६ तो० और शर्बत कसूस २ तो० सम्मिलित कर पिलाएँ ।
गुण-धर्म-यकृद्विकार ( शोध व कान्य) के कारण जो ज्वर होता है उसमें यह
बहुत
warns सिद्ध होता है । यकृत् का शोधनकर्ता तथा (सांद्र) स्थूल दोषों से शुद्ध कर उसे स्वभाविक दशा में ले श्राता है । सामान्य अ असन्तीन से यह कहीं अधिक लाभप्रद एवं शीघ्र प्रभावकारक है । यह अति तीव्र प्रभावकारक हैं । इस की मात्रा श्रति न्यून है ।
अपथ्य - घृत, तैल और अन्य तैलीय पदार्थ तथा लाल मिर्चों से परहेज करें ।
I
अर्का अम्बर āargāambar - अ० ममुग्रा से उधृत हैं | हृदय व मस्तिष्क एवं उपमांगों को बल प्रदान करने के लिए अनुपमेय है । मूर्च्छा को नष्ट करने और शक्ति को पुनरुज्जीवित करने के लिए शीघ्र प्रभावकारक है । अस्तु, कई स्त्रियाँ आर्तवाधिक्य के कारण तथा कई पुरुष अर्श में अत्यधिक रक्तस्राव के कारण अन्तिम दशा को पहुँच चुके थे; किन्तु इस चक्र के पीते ही अपनी
अ
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अर्क अम्बर जदीद
1
पूर्वावस्था पर लौट आए। इस चक्र के अत्यन्त विस्मयकारक प्रभाव अनुभव में रहे हैं योग-मिश्क ख़ालिश ४॥ मा०, अम्बर अब, मस्तगी रूमी प्रत्येक ६ मा०, वर्ग रेहा नवीन, नागरमोथा, तज, खुश्क धनियाँ, गुले गाव जुबान गीलानी, अनीसूं, दरूनज अक्रूरबी, पिस्ता वाह्यत्व प्रत्येक १ तो० १०॥ मा०, ज्ञर्नबाद, अगर, कवावह ख़न्दाँ, छड़ीला, बालछड़, बहमन सुर्ख़, बहूमन सफ़ेद, शक्क़ाक़ल मिश्री, तेजपात, दारचीनी, जाफ़रान, लौंग, बूज़ीदान, गुलाब, वंशलोचन सफ़ ेद बड़ी इलायची, छोटी इलायची, दूब, पोस्त उन्रज, अब्रू रेशम कतरा हुआ, श्वेत चंदन प्रत्येक २ तो०, ताजे विलायती सेवका पानी ॥ ( श्रात्र सेर श्रालमगीरी ), तुर्श अनार का पानी १ सेर, अक़ बेदमुश्क, अ गाव जुबान, अ बादरञ्जयह (बिल्लीलोटन ) प्रत्येक २॥ सेर, गुलाब क़िस्म अव्वल । कूटने योग्य ओषधियों को कूटें और सब को अक़ के साथ एकत्रित कर रात को सुरक्षित रखें । सवेरे सेव और अनार का पानी सम्मिलित कर देग में डालें तथा अम्बर व मिश्क को नीचे के मुँह में रखकर अन खीचें ।
मात्रा - कहवे की एक प्याली से ४ प्याली तक |
नोट - चिकित्सक को रोगी की प्रकृति के अनुसार इस अर्क में परिवर्तन करना योग्य है । अस्तु, आमाशय पुष्टि हेतु मधुर बिही का पानी १ सेर, तथा उसे उष्णता पहुँचाने एवं बलप्रदान करने के लिए बहारनारअ १ तो० १०॥ मा० और अतिसार को रोकने के लिए गुप्त सिञ्जद या सिजद समावेशित करें । इ० अ० ।
अम्बर जदोद Jarg-aambar-jadid - अ० नूतन अम्बरार्क ।
निर्माण - चित्रि - मिश्क ५ मा०, अम्बर ६ मा०, मस्तगी १८ मा०, वर्म रहाँ ताज़ा, नागरमोधा ( सुऋद कोफ्री ), धनियाँ शुष्क, गुलेगाव, जुबान, अनीस, दरूनज अक्रूरबी, जर्मबाद, पिस्ता वाह्यत्वक्, ऊदगुर्की, कबाबचीनी, छड़ीला,
For Private and Personal Use Only