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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चक और विविध यंत्र विधान अर्थात् तत्साधनोपकरण, नर्माण क्रम, इतिहास एवं उपयोग प्रभृति हेतु देखिए - बामणो (नाड़िका) यन्त्र । श्रायुर्वेदीय अर्को के लिए देखिए श्रकाश । (१) अ - उस्तोख़ इस १२ तो०, गुलाब ५ तो०, मुनक्का, गाव जुबान प्रत्येक १०तो०, हलेला स्याह पावभर, धनियाँ शष्क तीनपाव (si ) और पोस्त हलेलाज़र्द १ सेर | सम्पूर्ण श्रोषधियों को तीन दिन-रात जल में भिगोकर ७ सेर अर्क खींचें । ६१६ गुण - वातरोग तथा शिरोरोग को नष्ट करता है, हृदय तथा श्रामाशय को बल प्रदान करता और शिर की ओर बाप्पारोहण को रोकता है । इ० श्र० । (२) - उपयुक्त गुणधर्म युक्र है । योग - गुलगाव जुबान २ तोला, गावजुबान, गुलाब, कासनी बीज प्रत्येक २ तो०, शाहतरा ३ तो०, उस्तोख हस, अनतीमून ( पोटली में बाँधकर ) प्रत्येक मा०, बिल्लीलोटन, बस्फ्राइज - पिस्ती, दरूनज - अक्रूरबी, हज्रश्रर्मनी, गिलेअर्मनी, गुलसेवती प्रत्येक ७ मा०, पोस्त हलेला काबुली, धनियाँ शुक, गुल नीलोफ़र प्रत्येक १०॥ मा० | इनको दो रात-दिन जल में भिगोए रक्खें । तदनन्तर ५ सेर खींचें । (३) अ - गुलकेतकी १ तो०, गुलसेवती, गुलगाव ज़ुबान प्रत्येक २ तो०, गुलेनीलोफर, धनियाँ शुष्क प्रत्येक १० तो० ! २ रात-दिन जल में भिगोकर १० सेर खींचें । उष्ण प्रकृति वाले के लिए इसमें कपूर की वृद्धि करें, इससे बहुत लाभ होता | कभी कभी कपूर के साथ वंशलोचन सफ़ेद भी यथोचित मात्रा में सम्मिलित किया जाता है अथवा उक्त श्रृक्त का “क्रू संकार” या " क्र. संतबाशीर" के साथ उपयोग किया जाता है । गुण- हृदय एवं मस्तिष्क को बल प्रदान करता है । ( ४ ) अर्क - हकीम काज़मअलीख़ाँ सदा यह अर्क तैयार करते थे। दो बार लेखक के अनु भवमें भी चुका है और मालीख़ौलिया अ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजवाइन (Melancholia) के सम्पूर्ण भेदों में लाभप्रद है। उक कराबादीन (श्रम महूम) से उद्धत है । योग-कीकर त्वक् धोकर साफ किया हुआ १० सेर, गुड़ १ मन ( शाहजहानी ), पानी ४ मशक । इन सबको मटके में डालकर भूमि में गाड़ दे और उसके नीचे किञ्चित् घोड़े की लीद डाल दें' | जब लाहन उ श्राए श्रर्थात् सन्धानित हो जाए तब ३० सेर एकाग्नीय अर्क खींचें । पुन: लौंग ६ मा०, जायफल, जावित्री, दारचीनी नुन्द्र व शीरीं, इलायची छोटी और खस प्रत्येक १ तो०, चन्दन चूर्ण २ तो०, गुलाब तो० । इन श्रोधियों को एक रात-दिन उक्त श्रक़ में भिगो रक्खें | दूसरे दिन २० सेर द्वयाग्निकार्क खींचें । पुन: उक्क लौंग, जावित्री प्रभृति श्रोषधियों को अर्धमात्रा में लेकर द्वयाग्निकार्क में एक रात दिन भिगोएँ और दूसरे रोज १२ सेर याग्निकार्क खींचें । यदि ३ मा० गुलाब का इत्र भपके में डाल दें तो उत्तम होता है । कुछ दिन बाद उपयोग में लाएँ । गुण-- हकीभ मुहम्मद जाफ़र अकबराबादी उक्त अर्क को प्रस्तुत कर ४० दिवस पश्चात् ख़ान ( मूर्च्छा रोग ), हृदय की निर्बलना, मालीख़ौलियाए मराक़ी और शारीरिक निर्बलता की दशा में गुलाब और मिश्री के साथ श्रग्नि लगाकर शीतल होने पर पिलाते थे । इसकी विधि निम्न है - मद्य १० तो ० को चीनी के प्याले में डालकर मिश्री और गुलाब प्रत्येक ४ तो० को परस्पर मिलाएँ और शराब को आग लगा कर गुलाव में घोली हुई मिश्री उसमें डाल दें, और चमचा से चलाएं जिसमें अग्नि बुझ जाए। शीतल होने पर पीएँ और ४-५ घड़ी बाद भोजन करें । इ० श्र० । अजवाइन āarq-ajavain - अ०, फा० अजवाइन का श्रर्क, यमान्यर्क । निर्माण-विधि - तुख्म अजवाइन १॥ पौंड, जल ३ का० । अर्क की विधि से ४ घंटे तक अर्क खींचें । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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