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अर्कालियामास्केटा
अकुवायलास
अकोलिया मॉस्केटा achillea. moschata पदार्थ जिसमें शहद को हल करके जोश नहीं
-ले० यह पाल्पपार्वतीय पौधा है जिसमें कस्तूरी- दिया जाता। हनीवाटर ( Honey watवत् गंध होती है । इसमें उग्र स्वेदजनक तथा | el)- ।
प्रारोग्यकारक प्रभाव होता है । फा०६०२भा०।। अकरु akuru-सिंगा० गुड़-हि. | कन्द-फा०॥ अकोलिया मिलीफॉलिश्रम् achillea mille. । गूइ-द० । जै गरी (Jaggery of sugal
folium, Linn.-ले० परिक्षासिफ, बूये- | eane)-इ० । स० फा० । मादरान-फा० । मोमा-चोपन्दिया-काश० । अकुरु अरक akuru-alak-सिंगा. गुड़ की बरयर-मि०। सयुवर्ट महोदय के कथनानुसार शराब-हिं० । गुड़ की दारू, गुड़की शराब-द०। यह बाजार में बिकने वाला एक पौधा है। इसके (Liquor of Jaggery) स० फा० ई० पुष्प और पन औषध कार्य में आते हैं । इं० मे० अकुलः akulah-सं० त्रि० (१) निरस्थि द्रव्य, ला० । फा० ई०२ भा० । मेमो०।
बीजशून्य । च० चि०१०। (२) लम्ब अकोलिया सैन्टोलोना-achillea santo. कर्णहीन मध्यम अश्व, यथा-"लम्बकणोऽजटश्चैव
linal, Linn-ले. वरिञासिफ़-फा० । अकुलः परिकीर्तितः। जय०६०। (३) फा० इं०२भा०
कुल रहित, परिवार विहीन । जिसके कुल में कोई अकीलीइक एसिड achilleic acid-इं० न हो। (४) बुरे कुल का । अकुलीन । नीच
बरिआलिफ़ या विषका तेज़ाब (Aconitica कुल का । acid) फा० इं०२ भा०।
अकुलाना akulānā-हिं० क्रि०अ० [सं० श्राकुअकोलोईन achilleine-इं. यह अकीलिया लन ] (१) व्याकुल होना, व्यग्र होना।
मॉस्केटा द्वारा निर्मित एक क्षारीय सव है। फा० (२) विह्वल होना, मग्न होना, लीन होना, इं०२ भा०।
श्रावेग में प्राना। अकीलोन achill-in-इं० रनाभायुक्न धूसर अकलिनो akulini-हिं० वि० स्त्री० [सं० वर्ण का सत्व जो बरासिफ द्वारा प्राप्त होता
__ अकुलीना ] जो कुलवती न हो, कुलटा, व्यभिहै । फा० इं०२भा०।
चारिणी । अकीलीस aqilis—यु० रञ्जमिश्क,रामतुलसी, अकलीन akulina-हिं० वि० [सं०] बुरे कुल अम्बल ( Ocimum gratissimum
का, नीच कुल का, तुच्छ वंश में उत्पन्न, कमीना, Linn.)-ले० ।
खुद्र। अकीसून aqisun-यु० एक अप्रसिद्ध करटकमय
अकुलबलसाँ aqulla-balasan-अ० रोगने बूटी है जो बादावर्द के सदृश होती है, और
बलसाँ-फा० । बलसों का तेल-हिं०, द०। इन्दलुस (Spain ) में उत्पन्न होती है।
Balsamum, var.of ( Blasam of अकुजीमडु akuji madu-ते. थूहर, सेंहुड़,
Necca or Balm cf Gilead.)-ले०। (Euphorbia Nerifolia, Linn.)
aigaie a quvoyalá-samún-zo इं०मे० मे०।
दोह नुल बलसाँ, रोग़ने बलसाँ-फा० । बलसाँ अकुप् akup-फा० मुख के भीतर, मुख की नाली
का तेल--हिं०, द०। ( Balsamum) . ((Esophagus)
नोट-यद्यपि उपयुक्र शब्द वस्तुतः बालसम अकुप्यम् akupyam-सं० क्ला० स्वर्ण, सोना
14 ARI ( Balsam of Mecca ) * gold (Aurum) हला० ।
पर्याय है, पर वे भारतीय अाइल श्राफ कीपैया अकु (-क.) मालो aqu,-qu-mali-अ० मा- (Oil of Copaiba India) के लिए
उल अस्ल । शहदजल, शहद का पानी या अन्य भी प्रयक होते हैं। स० फा०1०।।
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