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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरिष्टा मरिस्टोलोकिया क्ली०, ( Prognostica tion of dea- Retz.-ले. शिपर-गडि-ते। थोडग-पुल्ल-ता। tb) मृत्युकारक चिह्न, मृत्युलक्षण, जिस लक्षण यह भी खाने के काम में आता है । मेमा० । (चिह्न) से रोगी की मृत्यु जानी जाए उस चिह्न को अरिस्टॉटल aristotle-इं० अरस्तू, अरस्ताअरिष्ट कहते हैं। भा०। तालीस । अरिष्टा arishta -सं० नो० । (१) कटको, अरिस्टीन aristine-इं० . देखा-अरिस्टो. -हिं० संज्ञा स्त्री० कुटकी । (Pi- लोकीन । crorrhiza kurrou. ) रा०नि० व.६। मरिस्टोकीन aristocbin-इं. यह एक स्वादच० सू०४०। प० मु०। २०मा० । वै० रहित श्वेत चूर्ण होता है जिसमें १६.१ प्रतिशत निघ०२ भा०, विषमज्व० पटोलादि । (२) क्वीनीन होता है। यह जल में लय नहीं होता । नागबला, गुलशकरी । (Sida alba.) रा. इसे विषमज्वर ( मलेरिया ), प्रांत्रिकज्वर नि० व. ४। (३) मद्य, दारु । Wine ( टाइफाइड ), संक्रामक प्रतिश्याय (इन्फ्लु(Spirituous liquor. ) ५ब्ज़ा) तथा थोड़ी मात्रा में कूकरखाँसी (पर्ट. अरिष्टादि चूर्ण . arishradi-churna-सं० स्सिस ) में बरतते हैं। मात्रा-१ से १० ग्रेन पु. नीम के पत्र १० पल, त्रिकुटा ३ प०, (1 से ५ रत्ती) विस्तार के लिए देखोत्रिफला ३ प०, सेंधा, सोंचर और साम्भर तीनों सिन्कोना। ३-३ ५०, दोनों क्षार २ ५०, अजवाइन ५ प० । अरिस्टो क्विनाइन aris to-quinine-देखोइनका चूर्ण करके प्रातःकाल खाने से दैनिक सिन्कोना। तिजारी, चौथिया भादि का नाश होता है। अरिस्टोल aristol-इं० यह डाइ थाइमोल प्रायोयो चि०। डाइड ( Di-thymol-Iodide.), पांशु अरिष्टाः arishrāhvah-सं० पु० फेनिल, नैलिद ( Potassium iodide.) सथा रीठा कर, री। री-बं०। Soapnut यमानीन ( Thymol. ) घोल को सम्मिति tree ( Sapindus trifoliatus. ) करने से बनाया जाता है। यह रक्काम धूसर वै० निघ० २ भा० उन्मा. चि०। वर्ण का चूर्ण है जो जल तथा ग्लीसरीन में अधिभरिष्टिका arishtika-हिं०संज्ञा स्त्री० [सं०] लेय होता; किन्तु कोलोडीन, ईथर और तैल (१) फेनिल, रीठा । (Soapnut tree) (Oils ) में लयशील होता है। ... (२) कुटकी । कटुकी || Picrorrhiza गुण-यह ( अल्सरेटिव ल्युपस ), दद्रु Kurroa.) (Tenea.), नारफ़ारसी (एक्मा ) और अरिसिना arisina-कना• हरिदा, हलदी । विचचिका (सोराइसिस) में लाभदायक है। ( Curcuma longa. ). इसका १० प्रतिशत का मलहम (प्रलेप) उपअरिसीना वुर्गा arisina-burgi-कना० कम्बी, योग में प्राता है अथवा इसे व्रण पर छिड़कते गलगल,कण्टपलास। गनिबार-उड़ि। गब्दी, या क्रोडीन में मिलाकर लगाते हैं। देखोगंगल-हिं। (Cochlos.permum go प्रायोडोफॉर्म। . ssypium, D. C.) ई० मे० प्लां। अरिस्टोलोकिएसीई aristolochiacem-ले० अरिस्टिडा डिप्रेसा aristida depressa, अरिस्टोलोकिई (Aristolochin.) ईश्वर Retz.-ले० सिन-खलक, स्पिन-वेगी, जन्दर- मूल वर्ग। लम्बा-40। नलि-पुटिकि-ते। यह पौधा खाद्य अरिस्टोलोकिया ristolochia-ले. जरावन्द कार्य में प्राता है । मेमो०। -फा० । ईश्वरमूल-हिं० । ..... मरिस्दिड़ा सिसिना aristida setacea, | नाम-विवरण-ज़रावन्द वस्तुतः फारसी For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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