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अरशैमरम् ५१२
श्ररस्त् मरशमरम् ansha-maram-ता० अश्वत्थ, | अरसीना alasina- कना० हरिद्रा, हलदी ।
पीपल वृक्ष । ( Ficus religiosa.) ई० (Curcuma longa). मे० मे०।
अरसीना उन्मत्त arasina.ummatta-कना० परशा arasha-एक हिन्दी बूटी है जिसकी.उँचाई | पीला धतूरा, पीत धुस्तुर । ( Yellow
मनुष्य के बराबर होती है। शाखाएं घास की variety of Datura.) तरह ग्रंथियुक्त होती है। पत्तियाँ भी तृण | अरसूसा arasāsā-यू० कनौचा भेद, कोई कोई समान तथा पुष्प बनक्शा के सदृश किंतु, उससे ___ जंगली गाजर को कहते हैं। भिन्न वर्ण का होता है। फल इलायची के समान
अरस्तन alastan-फा० यूनानी संज्ञा आइरिस त्रिपार्वाकार होता है । लु० क०।
( Iris ) इसीसे व्युत्पन्न है । देखो-पुष्करअरस arasa-हपु(व)षा, अर्दज, अभल, हाउबेर ।
मूल । फा० इं०३भा० । (Juniperus chinensis.). इं०हेगा० ।। अरस्ता तालीस aasta-talis-अ० । अरस aras ता० पीपलवृक्ष, अश्वत्थ । (Ficus अरस्त् arastu-अ०
religiosa.)। -हिं वि० [सं० अरस) अरिस्टॉटल(Aristotle) अरस्तूका जन्म सन् नीरस, फीका । ( Insipid ).
ईस्वीसे ३८४ वर्ष पूर्व श्रेस के इलाके रस्तागीर अरस ras-काली सम्भाली, वाकस । (Justi- | नामक स्थान में हुआ था। सतरह वर्षकी अवस्था में
cia gendarusssa.) इं० हैं. गा० । यह हकीम अफलातून के शिक्षालय में सम्मिभरस aalas-अ० य● अ, चूँ स, घूइस । A ba- लित हुए और पूरे २० वर्ष तक दर्शनशास्त्र का
ndicote rat ( Mus giganteus ). अध्ययन किए और उनका पारंगत शिष्य बने। अरस: arasah-सं० पु. )...
४३ वर्ष की अवस्था में अरस्तू सिकन्दर आज़म (1) रस रहित।
के गुरु हुए । इनमें भौतिक वस्तुओं के अन्वेअरसम् arasam--सं० क्ली
पणकी प्रबल इच्छा थी । इन्होंने अलेक्जेण्डरिया - (२) विष रहित । अथर्व० । सू०६।३ ।
में एक महाविद्यालय की स्थापनाकी जहाँ से सुप्रका० ४ । अथर्व० । सू० २२ । २ । का०५।
सिद्ध एवं प्रकांड विद्वान उत्पन्न हुए। यह दर्शनअरसमरम् arasa-maran - ता० अश्वत्थ,
शास्त्र के तो प्रमुख पंडित थे, परन्तु वैद्यकशास्त्र पीपलवृक्ष । (Ficus religiosa).
में इनका पद बुकात ( Hippocrate) अरसा ai asa-ता० पीपलवृक्ष, अश्वत्थ । (Ficus
से अत्यन्त निम्न कोटि का है। व्यवच्छेद व . religiosa.)
इन्द्रियव्यापारशास्त्र सम्बन्धी इनके कतिपय अरसाः arasāh--प्राण रहित । अथर्व० । सू० असत्य सिद्धान्तों का जालीनूस ने खंडन किया
३१ । ३। का०२। अरसास arasās-सं०निर्बल ।
इनके मुख्य मुख्य सिद्धांत निम्न थेका०१०।
(१) यह हृदय को प्राकृतिक ऊष्मा का उद्गम भरसिवणदह विणणु arasivanadah vi- और रूह हैवानी का स्रोत मानते हैं। (२) __nanu--का० सहिजन, शोभांजन । (Mol
इनके मतानुसार फुप्फुस हृदय को वायु प्रदान inga pterygosperma )
करता है। (३) धमनियाँ हृदय से रूह हैवानी अरसी arasi--हिं० संज्ञा प० [सं० अतसी
को सम्पूर्ण शरीर में पहुँचाती हैं और (४) अलसी, तीसी । देखो-अतसी।
शिराएँ याकृदीय शोणित से सम्पूर्ण शरीर अरसीन arasina--कना० जहरीसोनतक को श्राहार प्रदान करती हैं इत्यादि।
--मह०। ( Allananda catharti. __परन्तु श्राश्चर्य तो यह है कि आज दो सहस्र ca, Linn.) फा०ई०२ भा० ।
वर्ष पश्चात् भी उनके ये असत्य सिद्धांत यनानी
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