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प्रकाशबेल
अकित मकित डंठल पीले और किसी के लाल होते हैं; किसी
श्रीपथनिर्माण-शीतकपाय, काथ, चूर्ण और के फल बड़े और किसी के छोटे होते हैं। इसी पुलटिस । मात्रा-४ रत्ती से १॥ तंला तक। प्रकार और अनेक भेद प्रभेद को बातें हैं । यूनानी दपजाशकसेव, कतीरा, बादानरोग़न । हकीम जिस ओषध को क.म में लाते हैं वह ' प्रतिनिधि-क.ली निराय या दिसताय! श्रफ्तीमून नामसे फारस प्रभति देशों से भारत अकाशवेल द्वारा सहम प्रस्तुत करनावर्ष में श्राती है।
हरी अकाशबेल का पानी १० तो० निकाल कर प्रयोगांश-सम्पूर्ण पौधा,बीत ( तुल मेक सूस)
चांदी के पत्र 1 तो डालकर खरल में घटें। और तना।
शुक होने पर टिकिया बना कर छोटे शरावों में रसायनिक संगठन-क्वरसेटीन (Quer...
बंद करके पांच सेर पल को अचदें। शीतल - tin ) राल पोर एक प्रकार का क्षारीय सत्व
होने पर श्यामाभायुक भस्त निकाल लें । मात्राकसूसीन या अपरीन (Cusenting ) जो
एक चावल से एक रत्तो तक, उपयुक अनुपान कुछ २तिक एवं ईथर और क्लोरोफार्म में विलेय ।।
के साथ सेवन करें। होता है।
श्रकास akasa-हि० ० संज्ञा दे० आकाश । गुण धर्म तथा उपयोग
अकासकृत akasikrit.-हक संज्ञा पु. श्राका राबेल-ग्राही, तिज, पिच्छिल, नेत्ररोग- [सं० अ.का शक 1 ] बिजलो ! अनेक० । नाराक, अग्निवद्वक, हृद्य और पित्त तथा कफ
श्रकासनोम akistmimi-हिं० सजा प. को नारा करने वाली है। भा० पू०१ आ० ।
[सं० अ.का शनिघ] एक पेड़ जिसको पनियां मद० २०१।
बहुत सुन्दर होती है। मधुर, कटुपित्तनाशक, शुक्रवद्धक और रसायन
श्रकालवेल विलायतोakasi-bla-vilayati एवं बल्य है । रा०नि० ब०३।
-हि० अकाशबेल भेद । अफ्तोमन-श्र० ।
(Cuscita Riflesil, kol.) यूनानी हकीम आकारावेल को उष्ण व रूक्ष । मानने हैं । हानिकर्ता-मृच्छजिनक, तृष्णाजनक
अकारूमुग्रो akasil-mugri-कॉ० सन्ध्याराम,
कृष्णकली, गुल-अचास-का०। Foll)' और वात ग्रस्तताजनक है।
clock flower (Mira bilis daalit प्रभाव... अकासवेल के जोगुण वैद्यक ग्रन्थों में
ppa, Linn.)। ई० मे० मे । वर्णित हैं अफ्तीमून के प्रायः वेही गुण यूनानी अकाहलो akāhuli-हि० श्रो० अंधाहुली, ग्रन्धों में पाए जाते हैं। यही क्यों, प्रसिद्ध युनानी अंधपुप्पी ( Trichodesma Indicum) निघण्टु मज़नुल अदवियह. के लेखक मीर- -ले। मुहम्मदहुसेन ने तो इसके गुण अस्तीमून के अकित agit-अ० उस पनीर को कहते हैं जो दही सदृश ही वर्णन किए हैं। अतः सर्व सम्लत से के पानी टपकाने के पश्चात् शेप रहता है। इसके मुख्य मुख्य गुणधर्न निम्न प्रकार हैं-परि उसमें लवण मिलाकर शुष्क कर लेते हैं। वर्तक, पित्त, कफ, तथा आमना शक अशोध्न, : अकितन ajitall-यु० या यम०मुद्ग, में ग-हि. मस्तिष्कविकार, यथा-उन्माद मूच्र्छा आदि को (Phasoins Mongo, Lin.) लाभदायक, रशोधक, हृदय को हितकारी, शुक्र- अकित मकित akitimakit-अ०, सिर०, वर्धक, नेत्र रोगनाशक, अग्निकारक, पिच्छिल, करजुत्रा, कर जो, क.कर अ-हि० । कुवेरादिग्राही, बलकारक, रसायन और दिव्योषध है। फलम्-सं० खायहे इब्लीस-का0/Cuisalpइसका वाह्य प्रयोग (पुल्टिस रूप में) स्थानीय inia (guilandina ) bonducella, वेदनाशामक तथा कराडुघ्न है।
Linn. (Nut of Bonduc-nut. ) . स्वाद---मधुर, कड़वा, कषैला और चरपरा।। स० फा०ई०। फाइं०।
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