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अमोनिया
५०१
श्रमोनियम Ammonium-ले० | ग़ाज़नौ
शादर,
गैस नौशादर - ति० ।
रासायनिक संकेत सूत्र ( न उ ३ ) N. H,
3.
लक्षण - यह एक उग्रगन्धि अदृश्य वायव्य (गैस) है, ओ नवसादर ( अमोनियम हरिद ) और चूर्ण के मिश्रण से उत्पन्न होता है।
1
प्रयोग - नवसादर १ भाग और चूर्ण २ भाग लेकर खरल में डालकर चूर्ण करें। दोनों के परस्पर चूर्ण होने पर एक उग्रगंधि गैस निकलने लगता है | यही श्रमोनिया है ।
यदि श्रृंग, खुर, केश, त्वचा और मांस आदि अथवा खेचरों के पत्र दग्ध किए जाएँ तो जो विशेष दुर्गंध प्राप्त होती है, वह श्रमोनिया गैस के कारण ही है, क्योंकि यह उनका एक प्रधान अंग है । इस विधि से से अमोनिया बहुलता प्राप्त होता है । प्राचीन काल में मृगशृंग प्रभृति अमोनिया बनाने के काम आते थे । यह गैस कई एक वानस्पतिक रसों यथा इतु रस आदि में और किसी भाँति वायु में भी विद्यमान होता है ।
यद्यपि अमोनियम कोई धातु विशेष नहीं है, केवल नत्रजन और उदजन के परमाणुओं का समूह है, तथापि इसका श्रणु ( न उ३ ) धातुवत् काम करता है, और अम्लोंसे मिलकर लवण बनाता है । उसका सुप्रसिद्ध लवण नवस दर ( अमोनियम हरिद ) है । यह श्रमोनियम और लवणाम्ल के संयोग से बनता है । अमोनियम के कनित श्रादि लवण भी होते हैं, जो बहुत उपयोगी हैं।
गुण - ( क ) अमोनिया एक अदृश्य, उग्र, परन्तु रोचक गंधयुक्र गैस है जो वर्णरहित, स्वच्छ तथा नमनीय होता है। स्वाद तीव्रदाहक है ।
(ख) यह अत्यन्त जल विलेय है ( मद्यसार में भी विलीन हो जाता है । ); परन्तु जलविलीन होकर यह स्थिर नहीं रहता । अस्तु, जलविलीन श्रमोनिया उबालने पर वा बोतल खुली रखने पर जल से निकल जाता है ।
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अमोनिया
( ग ) खरल, जिसमें नवसादर और चूर्ण' को मिलाया गया हो, उसके समीप यदि श्राद्र रक्त लिटमस पत्र लाएँ, तो वह नीला हो जाता है | अतः यह गैस क्षारीय है ।
(घ) उसी खरल के पास यदि उदहरिकाम्ल में डुबोकर एक काचदण्डी लाएँ, तो श्वेत धूम्र निकलते हैं।
(ङ) इस गैस का जलविलयन चारों के समान गुण रखता है । रक लिटमस को नीला और अम्लों को उदासीन कर देता है। यह चार ऐसा तीन और दाहक नहीं है, जैसा कि दाहक सोडा या पोटास । श्रतः इसकी संज्ञा मृदुक्षार है ।
( ) इसका श्रापेक्षिक गुरुत्व १८६ है 1 यदि इस गैस को बहुत सी हवा के साथ मिलाकर सुँघाया जाए तो भी यह बहुत क्षोभक प्रभाव करता हैं और यदि इसको शुद्ध रूप में सुँघा जाए तब तो तत्काल दम घुटने लगता है ।
संज्ञा - निर्णय - प्राचीन मिश्र, यूनान तथा रोम देशनिवासियों के एमन नामक देवता का मन्दिर, जिनका वर्णन एमोनाइकम ( उशक के संज्ञा - निर्णायक नोट शीर्षक के अन्तर्गत होगा, लेबिया ( शाम के जिस जिला में था, उस जिला का नाम उन देवता के नाम पर रखा गया था । उस जिलाका नाम श्र (ए) मोनिया था। चूँकि कृत्रिम नवसादर सर्व प्रथम उसी जगह बनाया गया था । अतएव नवसादर का नाम सल एमोनिएक ( Sal ammoniac . ) श्रमोनीयिक लवण या एमोनिया ( स्थान ) का नमक है, और चूँकि यह गैस सल एमोनिएक अर्थात् नवसादर से बनता है । अस्तु, इसी सम्बन्ध से उसका नाम भी (ए) मोनिया रखा गया ।
औषध निर्माण - (१) लाइकर श्रमोनी फॉर्टिस Liquor Amronice Fortis - ले० | स्टॉङ्ग सोल्युशन ऑफ अमोनिया Strong Solution of Ammonia - इं० । सबल अमोनिया द्रव, तीवू श्रमोनिया विलयन - हिं० । क़वी साइल अमोनिया - ३०
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