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अभिपोड़नम्
अभिशोचनम् श्रग्निपर्णी, अदरख, चित्रक, भांग, अरनी, मकोय विद्वान । (२) रम्य, रमणीय, मनोहर, सुन्दर। इनके रसों में तीन दिन पर्यंत खरल करें', पुनः | (३) कामदेव । मे० पचतुष्कं । पञ्चपित्त (मोर, भैंसा, बकरी, सुअर और रोहू अभिरोग abhiroga-हिं० संज्ञा पु० [सं०] मछली ) की भावना देवें, तदनन्तर बालुकायंत्र चौपायों का एक रोग जिसमें जीभ में कीड़े पड़ में अन्ध मूपा में बन्द कर एक दिन तक पचाएँ, जाते हैं। जब स्वांग शीतल हो वारीक चणकर रक्खें ।
| अभिल कपित्थः abhila.kapitthah-सं० मात्रा-१ से रत्ती । गण-अदरख के रस के
पु. अाम्रातक वृक्ष, अम्बाड़ा, अमड़ा (pon. साथ दे और निर्गुण्डी, दशमूल और त्रिकुटा
dias mangifera.) का क्वाथ काली मिर्च मिलाकर पिलाएँ तो अभिलषिक रोग abhilashika-roga-हि. त्रिदोषज ज्वरों को दूर करे।
संज्ञा पु० [सं०] वातव्याधि के चौरासी भेदों पथ्य-बकरी का दूध और मूगका यूप दें।
में से एक। वृ० रस. रा० सु०।
अभिलावः abhilāvah-सं० प. छेद, स्रोत अभिपीड़नम् abhipidanam-सं० क्लो०
(Hole, pore.) । अम० । अभिचार ( An incan tation to
अभिलाषः abhilashah-सं० पु. । destroy. )
अभिलाष abhilasha-हिं० संज्ञा पु० ) अभिमन्थः,-मन्युःabhimanthah,-manyuh
[वि० अभिलाषिक, अभिलाषी, अभिलाषुक, -सं० पु. नेग्ररोग । प्राई डिजीज़ ( Eye
अभिलाषित ] । (.) रमणेच्छा, प्रियसे मिलने disease)| त्रिका। देखो-अधिमन्थ ।।
की इच्छा। वियोग । रत० र०। (२) अभिमर्दः abhimardah-सं० पु. अवमई, |
प्राकाँक्षा, कामना, इच्छा, स्पृहा ( Desire.) पीड़न, पीड़ा ( Pain.)।
मनोरथ, चाह। अभिमर्दन abhimardana हिं० संज्ञा पुं० अभिव्यापक abhivyapaka-हिं वि० [सं०] [सं०] (१) पीसना । चूरचूर करना । (२)
[स्त्री० अभिव्यापिका ] पूर्ण रूप से फैलनेवाला घस्सा । रगड़ । युद्ध ।
( Diffusible.) अभिमर्षणम् abhi marshanam-सं० क्ली० |
अभिशप्त abhi-shapt-हिं० वि० [सं०] (१) यन पिशाच श्रादि भूतकृत पीड़ा । २०
शापित | जिसे शाप दिया गया हो । मा० । (२) मनन, चिन्तन; ( ३) परस्त्री
अभिशापित abhishāpita-हिं० वि० [सं०] गमन, परदारगामी। अभिमानतम् abhimanitan-सं. क्ल..
देखो-अभिशप्त । मैथुन, स्त्री संग । क्वाइशन ( Coition.), अभिशस्तिपाः abhishastipah--सं० निंदनीय
कप्युलेशन ( Copulation.)। त्रिकाल। पाप मय रोगों से रक्षा करने वाला । अथव। अभिमुख abhimukha-हिं० क्रि० वि० [सं०] सू० ७। १४ । का० ।
सम्मुख, पागे, सामने, समक्ष ( Present, अभिशाप: abhishapah-सं० पु. । facing.)
अभिशाप abhishapa-हिं० संहा पु. ) अभिमचि abhimukha-हि. संज्ञा स्त्री. [वि. अभिशापित, अभिशप्त ] शाप, अनिष्ट
[सं०] अत्यन्त रुचि । पसन्द । प्रवृत्ति । तुष्टि, प्रार्थना, बद दुधा, ब्राह्मण, गुरु, वृद्ध और सिद्ध
भलाई, प्रास्वाद, चाह, रसज्ञान ( Taste.) प्रादि के शाप का नाम "अभिशाप" है। भा० अभिरूपः abhirāpah-सं० पु. (१) म०२।मा० नि० ज्व० । अभिरूप abhirāpa हिं० वि० बुध,पंडित, | अभिशोचनम् abhisho-chanam--देखो--
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