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(२) हज्य सरन (अपस्मार वटी )गारीकून, उस्तोख दूस, अफ़्तीमून, बसाइज, सैंधव, ऊदसलीब प्रत्येक १ मा०, इन्द्रायन का गूदा, निशोथ, सामूनिया मुशग्वी, पीत हरड़ का बक्कल और कतीरा प्रत्येक २ मा०, अथारिज क्रैकरा ५ मा० सबको पीस कर गोलियाँ बनाएँ।
सेवन-विधि व मात्रा-७ मा० उक्त औषध को अक्रमको वा अर्क बादियान के साथ सेवन कराएँ।
जब अभीष्ट शुद्धि हो जाए तब निम्न लिखित योगों में से किसी एक का सेवन कराएँ । इनमें से प्रत्येक परीक्षित है
(१) मजून ज़बीब-इसको मुहम्मद जकरिया राजी ने अत्यन्त परीक्षित बतलाया है।
अफ़्तीमून, उस्तोख हस, अकरकरा, बसनाइज फ्रिस्तकी प्रत्येक ३ तो० को कट छान कर जबीब मुनक्का डेढ़ पाव में या सिकंजबीन असली डेढ़पाव में मिलाकर मग जून बनाएँ । मात्रा१ तो० से १॥ तो० तक ।
(२) हलेलह, ज़र्द,हलेलह, काबुली,बलेलह, (बहेड़ा), प्रामला, उस्तोख ह स प्रत्येक तीन तो०, उद सलीब १॥ तो०,ाकरकरहा १॥ मा० मवेज़ मुन का ॥ सेर सब दवाओंको कूट छानकर
और मवेज़ मुनक्का को सिल पर पीस कर मिलाले और किञ्चिद् उष्ण करके रख ले।।
मात्रा व सेवन-विधि-७ मा० इस औषध को जल के साथ सेवन करें। उपयोग–अपस्मार को दूर करता है। (३) सफ़फ़ सर मुरक्लब
(यौगिक अपस्मार चूर्ण)काबुली हड़ का बक्कल, हरड़ की छाल, गुठली निकाला हुआ प्रामला, काली हड़ प्रत्येक ३ तो०, निशोथ, बसक्राइज मिस्तकी और उस्तोलह स प्रत्येक १॥ तो०, पोटासियम् ब्रोमाइड, सोडियम् ब्रोमाइड प्रत्येक २ तो०- मा. सबको बारीक पीस परस्पर मिलाले।
मात्रा व सेवन-विधि-६ मा० प्रातः काल
अन बादियान १२ तो० के साथ फाँक लिया करें।
प्रभाव तथा उपयोग-सम्पूर्ण वातज (सौदावी) मस्तिष्क विकारों यथा मालीखोलिया, अपस्मार और अनिद्रा प्रभृति को लाभदायक है। इखितनाक ( कंठावरोध ) को भी लाभ प्रदान करता है।
(४) अक्सीर सरअ - संखिया, मनुष्यके शिर की खोपड़ी भस्म की हुई, श्राकरकरहा, हिंगु, ऊद सलीब, जदवार ख़ताई प्रत्येक ७ मा०, शुद्ध प्रामलासार गंधक १॥1 मा०,सोंठ ३॥ मा०, शकर ४ मा०, सबको भृगराज स्वरस में ३ दिन लगातार खरल कर एक एक रत्ती की गोलियाँ बनाले ।
मात्रा व सेवन-विधि-एक गोली सुबह, एक शाम को अर्क मुण्डी ६ तो० के साथ खिलाएँ । गुण-अपस्मार के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
(५) दवाए जुनून - एक प्रसिद्ध औषध है जो उन्माद, मृगी और योषापस्मार के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। स्वर्गवासी डॉक्टर जेबुर्रहमान प्रिंसिपल तिब्बिया कॉलेज लाहौर इस प्रौषध को अधिकता के साथ प्रयोग करते थे ।
हिन्दुस्तानी दवाखाना देहली प्राचीन औषधों को नवीन रंग रूप में पेश कर देश एवं कला की असीम सेवा कर रहा है। अतः उसने उक्त औषध की नव्य विधानानुसार खोज पड़ताल की है और उसका प्रभावात्मक सार प्राप्त किया है। यह क्रियात्मक सार ब्रोमाइड की तरह' श्वेत है; किन्तु उससे अपेक्षाकृत अधिक प्रभावशाली एवं लाभदायक होने के सिवा उसके प्रत्येक हानिकारक गुणों से रहित है। ब्रोमाइड के समान इसके अधिक उपयोग से किसी प्रकार की हानि की सम्भावना नहीं । इससे असीम शांति लाभ होता और तत्क्षण नींद आजाती है।
अवयव व विधि-छोटी चन्दन ( यह एक बूटी है जो विहार और बंगाल में मिलती है)
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