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श्र
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श्री धन्वन्तरये नमः
आयुर्वेदीय कोष
अ
अ - संस्कृत और हिंदी वर्णमाला का पहिला | अक्षर । इसका उच्चारण कंड से होता है इससे यह कंवर्ण कहलाता है । व्यञ्जनों का उच्चारण इस अक्षर की सहायता के विना अलग नहीं हो सकता, इसी से वर्णमाला में क, ख, ग श्रादि वर्ण प्रकार संयुक्त लिखे और बोले जाते हैं ।
अअयून aãayún- अ० मेथी, मेथिका (Trigonella Foænum=Grwccum, Linn.) अवर aĀar-रु० मुर, बोल ( Myrrh ) अन्त्यूतस aãalyutas - यु० श्रभ्रक, भोडर ( Mica.)
श्राकुल aāákul-o जवासा, यवास, हिंगुग्रा ( Alhagi Maurorum, Dese. ) श्रश्राइवोत्तो aadaivotti- ता० चिटकी - हिं० ।
वन ओकरा - बं० । ( Triumfetta Rhomboidea, Jacq.) ३० मे० मे०। मेमो० । अश्रानो aání ते०, ता०, मह०, कना० हाथी fa (Elephant.)
श्रश्रारगोस aáragis - रसोत, दारूहल्दी, चित्राहिं० | दारुहरिद्रा - सं० । अंबरबारीस अ० । ( Berberis Aristata, D. C. ) श्रास aaás-o श्रचासिल वरी aaásil barri- अ०
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(Myrtus Communis, Linn.) विलायती मेहंदी - हिं० । फा० ई० । अत्र कुत्र aãqab - अ० गोरखर ( एक जंगली जानवर जो गढ़ की तरह होता है । ) अजफ़ aājat - ऋ० दुबला, कृश, एमेशिएटेड ( Emaciated ) - इं० ।
क्षीण ।
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अअ जाय् खादिमहुर्रईसह
अ ज्ञाश्रू aazaa - ऋ० ( Organs. ) ( व० व० ), उजव ( ए० व० ), बदन के टुकड़े या. हिस्से, अवयव, इन्द्रियाँ - हिं० । वे गाड़ी और स्थूल वस्तुएँ जो प्रथम खिल्तों ( दोषों ) के योग से बनती हैं । अजाश्रू असलिय्यह aāzáa asliyyah - श्र० श्रश्रू जा मुन्विय्यह, असली अश्रू जा अर्थात् शुक्र द्वारा उत्पन्न अवयव, यथा- श्रस्थि, नाड़ी, रग प्रभृति ।
अन जाय् श्रालयह aāzáa álayah -श्रु० अश्रू जाच् मुरक्कबह, वे अवयव जो कुछ साधारण अवयवों ( धातुओं ) के परस्पर योग से बने हों, संयुक्त अवयव ।
अजान इस्तहियाइय्यह aāzáa istahiyaiyyah - अ० श्रन्दाम निहानी, अश्रृ ज्ञान तनासुल ज़ाहिरी (प्रधानतः स्त्री के ), स्त्री जननेन्द्रियाँ (बाह्य) - ० । ( Pudendum.) अजा कैलूसियह, aāzaa kailúsiyah
- अ० श्रालात कैलूसियह् ।
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अ जाय् खादिमिह् aāzaa khádimih-o सेवा करने वाले श्रवयव, वे श्रवयव जो किसी अन्य अवयव की सेवा करें, यथा- श्रामाशय जो यकृत् की सेवा करता है अर्थात् भोजन से शुद्ध आहार -रस ( कैलूस ) तैयार करके यकृत की ओर भेजता है; अथवा शिराएँ जो यकृत् से आहार तथा प्राकृतिक शक्ति को लेजाकर अवयवों में वितरित करती हैं । अजाश्रू खादिमहुर्रईसह aāzáa khadimahurraisah-श्रु० उत्तमाङ्गों की सेवा करने वाले अवयव, यथा-धमनी जो यकृत् की