SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 414
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्वान्त्रयम् अपगत सकती है । डिजिटेलिस की यह उत्तम सहायक | अपकता apakka ta-हिं० स्त्री० अपक्वता, कच्चाश्रोषधि है । ( पी. वी० एम०) पन । ( Immaturity ). अन्वान्प्रयम् anvantrayam-सं० क्ली० अपक्रम apakrama-हिं० संज्ञा० पु. आँतों में उत्पन्न होने वाले विशूचिका के कीड़े । [सं०] भागना, छूटना | व्यतिक्रम. क्रमभंग, अथर्व० । सू० ३१ । ५ । का०२। अनियम | अन्वीक्षण anvikshana -हिं० संज्ञा पु[सं०] | श्रपक्रोता apakrita--सं०वि० दर देश से द्रव्य के (१)ध्यान से देखना । ग़ौर । विचार । बल से प्राप्त की गई । अथर्व । सू०७ । ११ । (२) अनुसंधान । तलाश । का० । अपक्व:apakvah--सं० त्रि. अन्वीक्षा auviksha-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] | अपक्व apakva-हि.वि. (१) (Unripe) (१) ध्यानपूर्वक देखना । (२) खोज, हूँढ़, बिना पका हुआ, श्राम, अशृत, अपक्क, कच्चा, तलाश। प्रसिद्ध । ५० प्र०। (२) ( Uudigested ) अप apa -उप० [सं०] उलटा; विरुदध, बुरा, विना पचा, अनात्मीकृत । अधिक । यह उपसर्ग जिस शब्द के पहिले प्राता | अपक्व कदलो apa.kva-kadali- सं० स्त्री० है उसके अर्थ में निम्नलिखित विशेषता उत्पन्न ( Unrip3-plantain )अपक्क रम्भा, कच्ची करता है। कदली( केला । । जुण केलें-मह० । काँचा कला (१) निषेध । उ०-अपकार । अपमान । -बं० । गुण--कच्चा केला मलस्तम्भ करने वाला (२) अपकृष्ट (दूषण )। उ०-अपकर्म । अर्थात् काबिज़, तिक, कषेला, स्वादयुक्र तथा अपकीर्ति। रूक्ष एवं रक्रपित्त और तृषानाशक है। प्रमेह, (३) विकृति । उ०-अपकुक्षि । अपांग। नेत्ररोग, रक्रातिसार तथा ज्वर नाशक है। वै० (४) विशेषता। उ..-अपकलंक। अप निघ०। हरण । अपक्व मांसम् apakva-mansam--सं० क्ली. अपक apaka-हिं० संज्ञा पु[सं० अप्=जल ] | ( Raw-flesh) प्रसिद्ध मांस, कच्चा मांस | पानी, जल | --डिं। गुण--कच्चा मांस रकदोपकारक और वातादि दोष अपकर्ष apakarsha जनक है ऐसा मांसविदों का मत है। वै. अपकर्षण apakarshana j-हसंज्ञा पु० निघ० । (१)नोचेको खींचना, गिराना, टानना । (२)| अपक वस्त apakva-vastu--सं० की. बहिर नायन, शरीर की मध्य रेखा से दूर | ( Raw objects) श्रसिद्ध वा अशृत लेजाना | Abduction, Drawing वस्तु । र०मा०। away from the median line ). अपक्वक्षारम् apakva-kshiram-सं० क्लो. (३) निराकरण हटाया जाना । ( Repul- ( Non boiled-milk ) अपक्व दुग्ध, कच्चा sion). दूध । गुण-यह अभिष्यन्दी और भारी होता है । अपकर्षणो apakarshani-सं० स्त्री०( A bd- अपग apaga--अ० कली का चूना, प्रशांत चूर्ण । uctor). बहिरनायनी, शरीर की मध्य रेखा से ( Calx, Lime, quick lime ). दूर ले जाने वाली। - ई. मे० मे०। अपक्क apakka !-हि. वि. कच्चा, अपूर्ण । अपगत apaga ta--हिं० वि० [सं०] (1)दूर अपक apakar ) गया हुश्रा, दूरीभूत, हटा हुआ, गत । (२) (Raw, unripe, imperfect, imm- पलायित, भागा हुआ, पलटा हुआ । (३) ature.) मृत, नष्ट । For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy