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अन्तू-कल-डुम्बो
में फहीक़ और हिन्दी मे निर्विसी कहते हैं । इसके मूल शाखा में शाखा युक्र और बड़े होते हैं । पत्र मकोपत्र सदृश, किंतु रक्त श्राभायुक्त होते हैं। किसी किसी के मतानुसार हंसराज के पा के समान होते हैं। स्वाद -तिक । अन्तू-कल-डुम्बो antu-kala-dumbo ता० दोपातीलता ( Ipomwa biloba, Forsk: ) । फा० इं० २ भा० । अन्तोमूल antomula-बं० श्रन्त मूल । (Tylophora Asthamatica-)
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अन्तरीय उदरच्छदा antariya-udarachchhadá-ft. (Transversalis Abdominis ) श्रन्तः उदरच्छदा | अन्तरीय जननेद्रिय antariya-jananedriya - हि० संज्ञा स्त्री० ( Internal org - an_of generation ) वह जननेन्द्रिय जो वस्ति गह्वर के भीतर रहती है और इस कारण बाहर से दिखाई नहीं देती जैसे शुक्राशय, शुक्रप्रणाली, प्रोस्टेट, शिश्नमूल ग्रंथि । अन्तरीय नाड़ी - कोप antariya nári-ko- | sha-for go (Internal capsule) अन्तरीय पटल
antariya-patala - हिं०
संज्ञा पुं० भीतरी परदा । ( Inner coat) अन्तरीय पटल शोथ antariyapatalashotha-हिं० संज्ञा पुं० ( Choroiditis ) नेत्र के भीतरी परदे की सूजन | अन्तरीय पृष्ठ antariya-prishtha - हिंο पुं० भीतरी पृष्ठ, श्रन्तस्तल | ( Internal surface ).
अन्तरीक्ष antariksha - हिं० पु० श्राकाश | ( The sky or atmosphere ) अन्तरीक्ष जलम् antariksha-jalam अन्तरिक्ष जलम् antariksha-jalam
- सं० की ० श्राकाशजल, गगनाम्बु, गगनोदक, नीहारजल, वर्षा ( वृष्ठि ) जल । ( Rain water.)
धर्मा
अन्तरुहा anta-ruha - सं० स्त्री० श्वेत दूर्वा, सफेद दूत्र | See-shveta-durvvá. अन्तरोत्पादक antarotpádaka-हिं०(Entoderm)
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अन्तर्गत antargata -हिं० पु० ( In the midst.) भीतरी । शामिल, अन्तभूत | अन्तर्गति antargati - हिं० स्त्री० ( Inward Sensations ) मन की तरङ्ग । ( Forgotten. ) विस्मरण ।
अन्तर्जङ्घास्थि antarjanghásthi - हिं०स्त्री० Shin-bone ( Tibia ) जङ्घास्थि, टाँग की दोस्थयों में से अङ्गुष्ट ( शरीर की मध्यरेखा के निकट ) की ओर की अस्थि । क़सुबहे कुब्रा, च. मुल् क्रस बत्-अ० ।
अन्तर्जठरम् antarjatharam सं०ली० कोष्ठ, कोठा । कुक्षिमध्य, कोख । श्रम० । अन्तर्जानु महराब antarjánu-maharaba
- हिं० पुं० ( Inner condylar notch ) घुटनों के अन्तरीय हड्डी की महराब । श्रन्तर्दधनम् antar-dadhanam - सं० क्ली० सुराबीज, किण्वक । येस्ट Yeast - इं० |
श० च० ।
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अन्तर्दाहः antarāáhah - सं० (हिं०) पु ं० (१) शरीराभ्यान्तरदाह | शरीर के भीतर दाह होना, छाती की जलन, को संताप, कोठे के भीतर की जलन । रा०नि० व० २० । (२) सन्नि पात ज्वर विशेष |
लक्षण - जिस सन्निपात ज्वर में मनुष्य शरीर के भीतर दाह हो, ऊपर से शीत लगे, सूजन, बेचैनी, श्वास और सम्पूर्ण शरीर जला सा हो जाए उसे " श्रन्तर्दाह" सन्निपात ज्वर से पीड़ित जानना चाहिए। भा० म० १ भा० । अन्तर्द्वार antar-dvara - हिं० पु० भीतरी
दरवाजा (केवाड़ ) | ( A private door ) अन्तर्धर्मा antardharmá सं० स्त्री० ( En doderm or Hypoblast. ) श्रन्तबलिष्टा ।
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