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अनुत्रो anutantri-सं०बी० पिंगला नाड़ी । (Sympathetic nerve ) अनुतन्त्रां पद्धतिः anutantri-paddhatih - सं०स्त्री० पिंगल नाड़ी मंडल | (Sympa thetic system)
अनुतर्षः anutarshah-सं०
अनुतप्त anutapta - हिं० वि० [सं०] ( १ ) तपा हुआ | गर्म | पु ं० ( १ ) तृष्णा ( 'Thirst ) । ( २ ) मद्य पीनेका पात्र, सुरापान पात्र । भैष० । मे० ष चतुष्कं । अनुताप auntápa-हिं० संज्ञा पु ं० [ [वि० अनुतप्त ] तपन | दाह । जलन | अनुतापि काण्ड anutápikánda - सं० पुं० पिंगल कांड | (Sympathetic trunk ) अनुतापिनी पद्धतिः anutápini-paddhatih
[सं०]
-सं० स्त्री० पिंगल मंडल | (sympathetic system ). अनुत्क्लेशः anut-kleshah-सं० पु० उल्क्लेशाभाव, वसनावरोध | च० सं० विसूची० | अनुत्थित विद्धा “शिरा” anutthita-vi
ddhá “shirá”–सं० स्त्री० ठीक पट्टी न बाँधने के कारण जिसकी शिरा न उठी हुई हो वह वेधित की हुई । इससे रुधिर नहीं निकलता ।
अनुन्मदिनम्
अनुद्भुत ताप anudbhuta tapa - हिं० पु० लेटेस्ट ही श्रीफ़ वेपराइज़ेशन ( Latentheat of vaponrisation ) वह ताप जो किसी तरल द्रव्य को वाष्पीय रूप में परिणत करने व्यय हो; किन्तु, जिसका कोई प्रत्यक्ष फल विदित न हो, उस द्रव्यको वापीय " श्रनुद्भूत ताप" कहते हैं । उदाहरण - यदि श्राप एक बर्तन में जल लेकर उसे गर्म करना आरम्भ करें तो जैसा श्राप जानते हैं, उसका तापक्रम बढ़ने लगेगा और बढ़ते बढ़ते वह १००° सें० तक पहुँचेगा । उस समय जल उबलने लगेगा । परन्तु उस समय एक बड़ी विलक्षण बात देखने में श्राती है। जल के तापक्रम का बढ़ना बन्द हो जाता है, आप चाहे श्राँच दुगुनी या तिगुनी कर दें परन्तु तापक्रम वही १००° पर ठहरा रहेगा और जब तक सारा अक्ष भाप में परिणत न हो जाएगा वहीं ठहरा रहेगा परन्तु आप जो ताप देते जा रहे हैं वह कहाँ चला गया ? इसका यही उत्तर हो सकता है कि वह किसी अप्रगट रीति से जल को तरल से भाप बनाने में व्यय हो रहा है। इसे 'अनुत ताप" कहते हैं। भौ० बि० ।
श्रनुद्वाह auudvaha-हिं०पु० अविवाह, कुमारपन । (Virginity)। अनुधावन_auudhávana - हिं० संज्ञा पु०
[सं०] [वि० अनुधावक, अनुधावित, धनुधावी ] ( १ ) पीछे चलना, अनुसरण, ( २ ) अनुसन्धान | खोज |
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मैं
सु० शा ० ८ श्र० ।
अनुत्रिकास्थि anutrikásthi - हिं० स्त्री० पुच्छा स्थि, गुदास्थि, चन्चु अस्थि । उस उस अल्उस उस अज़ मुलउस उ स ० दुमगज़हू, उस्तनाने दुम-फा० । दुसूची की हड्डी-उ० । त्रिकास्थि के नीचे रहने वाली एक छोटी सी अस्थि है जो वस्तुतः चार छोटी छोटी अस्थियों के जुड़ने से बनी है । इस अस्थि में न कोई छिद्र
होता है न कोई नली । इसका स्वरूप कोकिल चवत होता है । इसलिए अँगरेजी में इसको कॉक्सक्स ( Coccyx ) कहते हैं । अनुदर anudara-हिं० वि० [सं०] [स्त्री० धनुन्मदिन: anumaditah-सं० पु० अनुन्मदितम् anunmaditam - संo क्ली •• उन्माद रहित । अथर्व ० सू०१११ । २ । का ६ | अथर्व ० सू० १११ | १ | का० ६
अनुदरा ] कृशोदर | दुबला पतला ! अनुद्धत anuddhata - हिंοवि० [सं० ] जो उद्धत न हो । अनुग्र | सौम्य | शांत |
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अनुनाद anunada-हिं० सज्ञा प० [सं०]
[ वि० अनुनादितं ] प्रतिध्वनि, गूँज, गु ंजार | अनुनादित anumadita हिंo वि० [सं०] प्रतिध्वनित । जिसका अनुनाद या गूँज हुई
हो ।