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डॉ० के० एम० नदकारणो-फल जिनसे अनुकदली anukadali-सं० पु. कदली वि. अनीसून के बीज तैयार किए जाते हैं, अजीर्ण शेष, केला। लोखण्डीकेल मह| A Planरोग की एक विश्वस्त औषध है। अनीसून के tain tree. फल व तैल की सुगंधि, दीपन पाचन और वायु- अनुकम्पा anukampa-हिं० वि० ( Tend..निस्सारक प्रभाव का बड़ा प्रादर किया जाता
__erness ) दया, कृपा । है । सब उड़नशील तैलों के सदृश इसका तैल
अनकणंम् anukarnam-सं०क्ली० कर्ण समीप, उत्तेजक एवं कण्ठ्य है। आध्मान जनित उदर.
____ कान के पास । वा० शा० ४ ० । शूल में उदर तथा शिरोशूल की अवस्था में सिर
अनुकर्ष anukarsha-हिं० संज्ञा पुं॰ [सं०] में इसके तेल का स्थानिक प्रयोग होता है।
__अाकर्षण । खिंचाव । इसके बीज सुपारी के साथ चबाए जाते हैं और
अनकर्षरणम् anukarshanam-सं० क्लो०) इसकी चटनी आहार में काम आती है । प्रान्त्र
अनुकर्षण anukarsha.na-हिं० संज्ञा पुं० ) विकार एवं वायुप्राणालीय प्रतिश्याय में भी,
(१) पानपात्र । (aglass, a drinking विशेषकर बालकों में, जब कि उग्रावस्था व्यतीत
vessel ) हाग०। (२) अनुकम, अनुकर्षण । हो चुकी हो, उस समय यह उपयोगी होता है।
खिंचाव। अनीसून के बीज ड्राम, शर्करा तथा हरीतकी प्रत्येक १-१ ड्राम । इनका चूर्ण उशम कोष्ऽमृदु
अनुकल्पः anukalpah-सं० पु. किसी धौ
पध के अभाव में उक्र औषध के गुण के समान कर ( Laxative) है। श्रनीसन के बीज . और कराविया (Caraway ) को समभाग
अन्य औषध का ग्रहण । प्रतिनिधि या बदल ।
( an alternative )-इं०। .ले भूनकर चाय की चम्मच भर की मात्रा में
. भोजनोपरांत सेवन करें। यह उत्तम पाचक है।
अनुकूट प्रवर्द्धन anukuta-pravarddha. चूर्ण किए हुए बीज की मात्रा-१० से ३० ग्रेन
ua-हिं. संक्षा पु० (Jugular pro. (५-१६ रत्ती) है । शीतकषाय एवं परिस्रुत जल
cess). (८० में १ ) की मात्रा-१ से २ श्राउंस ( अनुकूल anukāla-हिं०वि० सात्म्य, मुआफ्रिक । से १ छ.)। तेल की मात्रा-४ से २० बुद ( Favourable).
शर्करा पर डालकर दें । (इं० मे० मे०) अनकल का anukulakā-सं० स्त्री० लघुदन्ती, अनु anu-उप० [सं०] जिस शब्द के पहिले यह चुद्रदन्ती, जमालगोटा भेद । वै० निघ० ।
उपसर्ग लगता है उसमें इन अर्थों का संयोग ... Croton Tiglium, Lin. ( the होता है । (१) पीछे । जैसे, अनुगामी, अनु
small var.) करण । (२) सदृश । जैसे, अनुकाल, अनुकूल, | अनुकुलन anukulana-हिं० अनुरूप, अनुगुण । (३) साथ । जैसे, अनुकंपा,
अनुकुलना anukulana-हिं० क्रि० स० । अनुग्रह, अनुपान । (४) प्रत्येक । जैसे, अनु
(१) (Accomodation) अप्रतिकूल होना।
मुश्राफ़िक होना । (२) पक्ष में होना । हितकर .. क्षण, अनुदिन । (१) बारंबार : जैसे, अनुगुणन,
होना। अनुशीलन | संज्ञा पु० दे० अणु । इसके विप. रीत "अभि" प्राता है।
अनुकृल सन्धिः anukāla sandhih-सं०पू० अनुक: anukah-सं० पु०
अल्पसन्धिः । (Cupid
( Amphiarthrosis, yielअनुक anuka-हिं० संज्ञा पुं० ) inous,
ding joint.) Lustful ) कामुक, कामातुर, कामी, वि- अनुकूला anukālā-सं0 स्त्री० ह्रस्व (लघु) षयी। ०।
दन्ती वृक्ष, क्षुद्र दन्ती । रा०नि० व०६ ।
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