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अनार
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उसके बदन पर एक कपड़ा लपेट कर कपड़े के भीतर वह तामे का गरम टुकड़ा रखडे, जिस पर टिकिया पड़ी हो । जब धुआँ निकलना बन्द हो जाए और बदन पर खूब पसीना थाचुके तो तेज हवा से बचा कर रोगी के ऊपर से कपड़ा हटा कर दूसरे कपड़े से पसीना साफ करदे | सात दिन तक यह प्रयोग करने से प्रातशक दूर हो जाता है।
औषध सेवन काल में गेहूं और चने की रोटी at के साथ खिलाएँ । अनार के हरे पत्तों को पत्थर पर बारीक पीसकर आग से जली हुई जगह पर दिन में दो तीन बार लेप करना लाभदायक है ।
१० तोला अनार की पत्ती को कुचल कर २० तोला तिलों के तेल में जला कर काला होनेपर आग से उतार लें और छान कर रक्खें । प्रावश्वकता होने पर इस तेल को ७ बार पानी से धोकर मलहम सा तय्यार कर, श्राग से जली हुई जगह पर लगाने से लाभ होता है ।
भिड़, ततैया, मधु मक्खी, मकड़ी और बिच्छू प्रभति से दंशित स्थान पर अनार के हरे पत्तोंको रगड़ कर लेप करना चाहिए।
तेजाब और भिलावेंके तैल प्रभृति, तेज चीजों से जली हुई जगह पर उपर्युक्त प्रयोग उत्तम है । मकड़ी के विष में दर्द सर बुखार और दाह आदि कई रोग पैदा हो जाते हैं। इन सब में अनार के दो तोले ताजे पत्तों और दो माशे arat after at arora पानी में रगड़ और छन कर सुबह और तकलीफ की अधिकता की दशा में इसी तरह शाम को भी पिलाएँ ।
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीसकर कपड़छान करें । पित्त ज्वर में सुबह व शाम को ताजा पानी के साथ ६-६ माशा खिलाएँ, बात कफ ज्वर में गर्म पानी के साथ खिलाएँ ।
टाइफाइड ( श्रांत्रिक सन्निपात ज्वर ) में २ तो० श्रनार के पत्तों को श्राध सेर पानी में जोश
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श्रनार
दें, आव पाव पानी शेष रहने पर छानकर श्रौर ४ रत्ती सेंधा नमक मिलाकर सुबह और इसी प्रकार शाम को पिलाया करें ।
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अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीसें और कपड़छान कर के ६-६ माशा सुबह व शाम ताजे पानी के साथ पिलाएँ या १ तो० अनार के ताजे पत्र को 5 = पानी में रगड़ और छान कर सुबह और शाम पिलाने से दिल के धड़कन को लाभ होता है । छाए में सुखाए हुए अनार में दही, नीम के पत्र १-१ तो०, छोटी इलायची और गेरू १-१ तो० सत्र को बारीक कपड़छान कर और ४-४ मा० सु और शाम ताजे पानी के साथ सेवन कराने से दिल की धड़कन, धूप या उष्णताधिक्य के कारण शरीर से चिनगारियों के निकलने में बहुत लाभ होता है । इससे प्यास भी कम हो जाती है ।
बढ़ी हुई प्यास में अनार के पत्तों को कुचल कर मुँह में रखकर चूसते रहना या १ तो०
नार के पत्रों को 5 = पानी में रगड़ और छान कर सुबह शाम पिलाने से बहुत लाभ प्रतीत होता है ।
अनार के पत्तों को पीस कर लेप करना स्तनों को दृढ़ करता है ।
अनार के पत्तों को कुचल कर निकाला हुग्रा रस ११, तिल तैल २० तो० दोनोंको गरम श्राँच पर पकाएँ, तैलमात्र शेष रहने पर उतार कर छान कर रखें। इसकी दिन में दो तीन बार मालिश करने से भी स्त्रियों के कुच कठोर हो जाते हैं, परंतु शीघ्र नहीं ।
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अनार के ताजे पत्तों को कुचल कर निकाला हुआ रस २, गाय का घी १, अनार के ताजे पत्तों का कल्क =, तीनों को मिलाकर नरम आग पर पकाएँ । जब पानी जल कर घी शेष रह जाए तब उतारकर कपड़े से छानकर ठण्डा होने पर मिट्टी के चिकने बर्तन में रख छोड़ें यह घृत मेदाजनक, वीर्य एवं बुद्धिवर्द्धक है । 5। उष्ण गोदुग्ध में आवश्यकतानुसार मिश्री