________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अधःकुन्तलः
२८२
अधःपुष्पी
[ अधः नीचे+काय शरीर ] कमर के नीचे के श्रीधा कर रख दें। दोनों पात्रों के मुख को अंग | नाभि के नीचे के अवयव ।
मिलाकर मदु मृत्तिका द्वारा उनकी संधियों को अधः कुन्तलः adhah-kuntalah-सं०
भली प्रकार बन्द कर दें। ऊपर के पात्र को अन्तलाम।
उत्ताप देने पर पारद पृथक् होकर जल में गिरेगा । अधः कुक्षि देशः adhali-kukshideshah यह पारद शुद्ध होगा। पारद शोधन की इस
-सं० पु. (Hypogastric region. ) क्रिया को अधःपातन और जिस यंत्र कुक्षि निम्नभाग। पेड़ के नीचे का हिस्सा । इक्लीम् | द्वारा यह क्रिया सम्पन्न होती है उसको श्रायुर्वेद खस ली, क्रिस्म खस... ली-अ० ।
में भूधरयंत्र कहते हैं । देखो-पारद । अधःकौक्षय-सक्षम् adhah-kouksheya- “नवनीताह्वयं सूतमित्यादि ।" र० सा० सं०।
plaksham-लं०पु० कुक्ष्यधः भाग स्थित (२) अर्वाचीन रसायनशास्त्र की परिभाषा में नाड़ी जाल । जफीरह-खस लिय्यह-अ०। इसने अभिप्राय विलयन में से किसी द्रव्य का (Hypogastric Plexus. )
पात्र तल पर शनैः शनै बैठना अथवा तलस्थायी अधः पतन adha.h-patana-हिं. संज्ञा पु.
होना है। [सं०] (१)। ( Precipitation.) अधः कुछ द्रव्य ऐसे होते हैं, कि यदि उन के विलक्षेपित वा तलस्थायी होना । (२) नोचे गिरना । यन पृथक पृथक् शुद्ध जल में बनाए जाएँ, तो
(३)विनाश, क्षय, पतन । देखो-अधः पातन । वह विलयन सर्वथा स्वच्छ और पारदर्शक होते अधः पात adhah-pata-हिं० संज्ञा प. हैं। पर यदि उनको मिला दिया जाए, तो उनमें
[सं०] (१) अधः क्षेपित (प), तलस्थित, नीचे कोई ऐसा परस्पर रासायनिक विकार होता है, गिराहुा । (Precipitate)। (२) नीचे कि एक अविलेय वस्तु बन जाती है, जो पहले
गिरना। देखो-अधः पातन । (२)तलछट, गाद । विलयन को कलुपित कर देती है, और पुनः अधः पातनम् adha h-patana m-संक्ली। पात्र तल पर शनैः शनैः बैठ जाती है। इस अधः पातन adhah-patana-हिं०सज्ञा प० । प्रकार दो विलेय द्रव्यों के मेल से एक भिन्न
अधःपातनम् -- इसका शाब्दिक अर्थ नीचे | अविलेय वस्तु का बनना और पात्र तल पर गिराना है । अधःक्षेपण तलस्थिरीकरण । शनैः शनैः बैना अधःपातन (अधः क्षेपण) (१) किन्तु, प्राचीन भारतीय रसायनशास्त्र कहलाता है, और जो द्रव्य पात्र तल पर बैरता की परिभाषा में इसका अभिप्राय "पारद है, उसे अधः पात (अधः क्षेप ) कहते हैं। शोधन के तीन विधानों में से एक" है ।
पाय-अधःपातनविधि-नवनीत (मैनुश्रा ) नाम का गंधक |
प्रेसिपिटेशन Precipitation इं०। तीब और पारद इनको सम भाग लेकर जम्बीर के रस
-अ०। तह नशीं करना-उ० । से मईन करें। फिर केवाँच की जड़, शोभाजन की जड़, श्वेत श्रपामार्ग, सर्पप और सेंधा नमक
अधःपात(किसी किसी जगह पारद को त्रिफला काथ, प्रेसिपिटेट Precipitate-३० । रूसोब, शोभान्जन बीज, चित्रक मूल, रक सर्षप और उकार, इकर अ० । दुर्द,तलछट,तहनशीं-उ० । सेंधा लवण में मन करने का विधान है।) अधः पाश्चात्य चक्राr adhah-pashchatya के समान भाग कल्क को मिश्रित कर यंत्र के । -chakringa-हिं. संज्ञा पु. ( Posऊपरी पात्र के भीतरी पेंदे में उक्त मिश्रित कल्क tero inferior gyras ) के साथ पारद का प्रलेप कर दें। यंत्र के जल- | अधः पुटः adhah-putah-सं० पु. चारोली पूर्ण निम्न पात्र को पृथ्वी में गढ़ा बनाकर उसमें वृक्ष | वै० निघः । रखें और उसके ऊपर से पारद लिप्त पात्र को | अधः पुष्पी adhah-pushpi-सं० क्ली० (१)
For Private and Personal Use Only