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प्रतस्यादिक्वाथ:
भति
प्रशामक है। भोजन से पूर्व इस अलसी की चाय Cloth)। (३) पांशुशय्या । (४) भंग ।
को १ पाइंट की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन ( IIemp) ... कराना चाहिए । अर्श रोग में १ से २ पाउस की |
| अतसी तैलम् a tasi tailam-सं०क्लो० अलसी . मात्रा में इसका तैल प्रातः सायं प्रयोग में
का नेल, नीमी का नेल-हि. | Linum श्राता है। (इं० मे० मे. नदकारणी कृत)
Usitatissimum, Linn. (Oil of.. एक श्राउंस अलसी के बीज को १ पाइंट जल |
Linsel oil.) ग. नि. व. १५ । में १०मिनट तक उबाल कर छान लें। इसे अ
भा० पू० तैल व० । देखो-अतसी । लसीकी चाय कहते हैं। यह अतीसार, प्रवाहिका
अतह aatah-१० ( Unconsciousness) ..और मूत्र विकारों के लिए एक उत्तम पेया है।
मूर्छा, अचेतता, अचेत होजाना, विसं जता, ( ई० इ० ई०-आर० एन० चोपरा कृत)
बेहोश हो जाना। म० ज०। (२) विरेचक प्रतसो
अता ata-हि. पत्थर फोड़ी (Putthara- लाइनम् कैथार्टिकम् Linum Catha- fori ) फा० ई० ! भा० । लु० २.० । • ticum)-ले । पर्जिङ्ग फ्लैक्स ( Purgi
अतात्तीर anta-quttil-अ. शिकारी पक्षी ng flax)-इं० । कत्तान मुस्हिल-अ०।
- ( The birds of piey.) नॉट ऑफिशल
अनान पत्रिका atana-patrika-सं० स्त्री० (Not Official.)
अरण्ड, एररड । ( Ricinus Commuउत्पत्ति स्थान-युरोप ।
ris, Linn.) वानस्पतिक वर्णन-यह एकवर्षीय पौधा अतापी atāpi-हिं० वि० [सं०] ताप रहित । है। कांड सरल, कोमल ६ से १ इं० तक ऊँचा
दुःख रहित । शांत। होता है । पत्र-सम्मुखवर्ती, संपूर्ण (अखंड)
अतार atar 'अंडाकार, नोकीले, होते है। पुष्प लघु, श्वेत
०(१) वृत्त,
जुतालहशफ़ह tajulhashfah jघेरा, किनारा । रंग के दल अंडाकार होते हैं।
(२) शिश्न-मुण्ड, मणि। कोरोना ग्लैण्डिम स्वाद-तिक व चरपरा ।
(Corona Glandis )-ई० । रासायनिक संगठन-इसमें लाइनीन (३) चक्षुतारा-मंडल । म० ज० । (अतसीन.) एक न्युट्रल (उदासीन), वर्ण
अतारद aatiral | नब्त० सुम्बुल रूमी । . रहित, रवादार अत्यन्त तिक सत्व होता है जिसमें
ICE, āatárah j See-sumbul-rúmí विरेचक गुण का अभाव होता है ।
wartz Watárac-TIETO Mercury मात्रा-६० ग्रेन चण रूप में। यह पौधा
(Hydrargyrum ) पारा, पारद-हि । "विरेचक रूप से व्यवहार में पाता है ।
म० अ० डॉ०२ भा०। अतस्यादिक्वाथः a tasyādi-kvāthah-सं०
अतारा aatāri-न्दना-फा० । गोनी-हिं० । हिं० पु. अलसी के फूल, मजीठ, बड़के अंकुर,
See-gandaná. कुश आदि पञ्च तृण | सब को समान भाग लेकर 'यथा विधि क्वाथ बनाकर पीने और पथ्य में |
अतालीतून atalitāna-यु. अज्ञात । स" मूग का यूष ( और भात ) खाने से रक्त पित्त अति ati-हिं० वि० [सं०] बहुन । अधिक । ;:' का नाश होता है । वृ० नि० र० ।
ज़्यादा । अतसी-कुसुम atasi-kusuma-सं० पु संज्ञा स्त्री० अधिकता । ज़्यादती । सीमा
(२) तीसी का फूल । (२) रेशमी वस्त्र (Silk का उल्लन !
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