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श्रस्तु उनके लिए हम सहृदय एवं विज्ञ पाठकों के समा प्रार्थी हैं और आशा है कि वे हमें उनसे सूचित करने की विशेष दया करेंगे, जिसमें आगामी संस्करण एवं खंड में उन्हें सुधार दिया जाए ।
अंत में हम पं० विश्वेश्वरदयालु जी वैद्यराज सम्पादक अनुभूत योगमाला के सदैव कृतज्ञ हैं और हृदय से धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इस महान् कार्य में हमारे हाथ बटाने में अदम्य उत्साह एवं लोक सेवा का परिचय दिया है । यह आप ही ऐसे देश सेवी एवं महत्वाकांक्षी वीर पुरुष का काम है, जिन्होने लाभालाभ वा सफलता असफलता का अंश मात्र भी विचार न करते हुए निर्भय होकर अपने को कार्यक्षेत्र में डाल दिया | श्रतः परम पिता परमात्मा से हम आपका दोर्घायु एवं सफलता प्रदान करने के लिए हृदय से प्रार्थना करते हैं ।
इसके पश्चात् हम अपने गुरुवर कविकुल भूत पूज्यपाद श्री पं० महादेव मिश्र ( चुनार ) को हार्दिक धन्यवाद देते हैं जिनके अनुग्रह से यह कोष सफलता प्राप्त कर सका ।
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अपने स्नेही मित्र डॉक्टर मुहम्मद शफ़ी से इस कोष के संकलन में हमको काफी सहायता मिली है। और समय समय पर उचित परामर्श देकर एवं उत्साहवर्द्धन कर इस महान् कार्य के पूर्ण करने में श्रापने जो मेरी सहायता की है उसके लिए हम आपके हृदय से कृतज्ञ हैं ।
ओर भी जिन जिन ग्रंथ एवं लेखों से तथा और भी किसी से किसी प्रकार की हमको कुछभी सहायता मिली हो, उसके लिए हम उन उनके लेखक महोदयों के हृदय से कृतज्ञ हैं ।
श्रायुर्वेदीयानुसंधान भवन रायपुरी, चुनार
माघ शुक्र वसन्तपञ्चमी सम्वत् ११३० वि०
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बाबूरामजीतसिंहजी वैद्य, बाबूदलजीतसिंहजी वैद्य
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