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अज़ाराको azáraqi - अ० कुचिला | नक्स निका ( Nux vomica ), वाजिट नट ( Vomit-unt ) - ले० । मु० अ० । म०
श्र० ।
अज़ाराको सिरिया azaraqi Syria - इं० कु. चिला। ( Nux vomica) फार इं० । अङ्गालत āazálata - ० पिस्सू ( केक ) -० । ए फ्ली ( A flea ) - इं० । अजाल हेवकारत azálahe-bakárata श्र० कुमारिच्छद को नष्ट करना । रचर श्री दी हाइमीन ( Rupture of the Hymen ) - ३० ।
अजावयः ajá-vayah- स० पु० वह श्रोषधियाँ
जिन्हें बकरियाँ खाती हैं । श्रय० । सू० ७ । १५ का० ८ ।
श्रजाविकं ajávikam - सं०ली० ( Small cattle ) वृद्र पशु |
अजाविद् ajávit-सं०ली० छाग विधा, बकरे की लंड़ी | Goat's Feces ( excrements ) | बा० उ० १० श्र० । जावी सीड्स ajáve seeds, Percival. - इं० अजवाइन । फा० ई० २ भा० । अजाशृङ्गी ajashringi - सं० स्त्री० मेदासिंगी, मेषशृङ्गा । ( Asclepias Geminata, Road.)
अजाश्वम् ajáshvam-सं० क्लो० ( Goats and horses ) बकरे और घोड़े । अजाहन äajáhana-o साही - हि० खारपुश्त - फ़ा । पाक्यु पाईन ( A Porcu
pine ), हेज हाँग ( Hedgehog ) - इं० । अजाह्वा ajihvá सं० क्ली० ( Carpopogon pruriens.) केवच श्रात्मगुप्ता । श्रालाकुशी- बं० । श्र० टी० भ० । देखो-अजहा । अज्ञाह āazah - अ० कण्टकयुक्र बड़ा वृत, जैसेबेरी अथवा बबूर वृक्ष । ( Any spinous tree ).
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अजाक्षी ajákshi - सं० स्त्रो० श्रओर A fig ( Ficus oppositifolia, Roxb.) गु० नि० ६० ११ ।
अजित प्रसारणी तैल
श्राक्षोरम् ajákshiram-सं० क्लो० बागी दुग्ध, बकरीका दूध ( She-goat milk ). वै० श० ।
अजिका ajiká सं० स्त्री० (१) रामतुलसी, बन तुलसी (Ocimum gratissimum, Linn.) ई० मे० मे० । ( २ ) ( A young she-goat ) जवान बकरी ।
अजज़ aajia - अ० विवश होना, निर्बलता, कता हि० । 'डेविलिटी ( Debility ) - इं० |
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श्रजित ajita हिं० वि० [सं०] अपराजित | जो जीता न गया हो ।
श्रजित तेलम् ajita- tailam-सं॰ लो० मुलेही
का कल्क ४० श्रामले का रस ६४ तो०, गो दुग्ध ६४ तो०, तिच तेल मिलाकर तैल सिद्ध करें । गुण - इसके सेवन करने से दृष्टि विमल होती है । प० २० नेत्र० रो० चि० । बङ्ग० से० सं० नेत्र रोग० वि० ।
अजित प्रसारणी तैलम् ajita-prasarani-tailam सं० क्ली० शरत्कालके सुपक प्रसारणी मूल ४०० ते ०, दशमूल, बरियारा (बला ), अश्वगंध, शतावर, पियाबाँसा, गोखरू, रास्ना, कौंचबीज, गुरुच, पुनर्नवा प्रत्येक पृथक् पृथक् ४०० aro | कुलथी, बदरीमूल, यव प्रत्येक २५६ तो० कूटकर छः द्रोण (६६ सेर) जल में क्वाथ करें, जब १ द्रोण शेष रहे तब उसमें तिल तैल ४ सेर, मांसरस ४ सेर, दही ४ सेर, गोदुग्ध १६ सेर, शुक्र ४ सेर, दही का पानी ४ सेर, मूलीका रस ४ सेर, काँजी ४ सेर, तथा रास्ना, सौंफ, अगर, देवदारु, मजी5 मुलहठी, महुधा पुर ( मधुक पुष्प ), नख, नेत्रवाला, बालछड़, बच, सेंधानोंन, चित्रक, जवाखार, सरल, दारुहल्दी, वायविडंग, भिलावाँ, पुष्करमूल, कूट, पीपलामूल, चव्य, मेदा, महामेदा, जीवक, ऋषभक, काकोली, क्षीर का कोली, निर्च, दालचीनी इलायची, काकड़ासिङ्गी, कन्नूर, नखो, गजपीपल, स्पृक्का, मैनफल, सोंठ, केशर, चन्दन, तेजपात, गोखरू, अदरख, कंकोल, ऋद्धि वृद्धि, हल्दी, कमल, अजवायन, जीरा, श्रजमोद,
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