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आज कः
अजगल्लीश्रेजक: ajakarnah !.
है, इससे इसमें पेदा की वृद्धि होती है। मा० 17 :a jakarnakah
.नि. नेत्रदृष्टिगत रो० निदा० । टेरीजियम् श्राजकर्णक ajaka.lnuka-हिं० संज्ञा पु.
Pterygium-इं० । नाखुनह, नारवूनह. बकरा के कर्ण के समान पत्र-वाला शालवृक्ष
-का0 ज़ फ्रह , जफरह-०। विशे , असन । २० मा० । बालसर्ज । रत्रा० ।। अजक
अज़का aizaquh-य० वामनी । बभनी ।
aqu इसका प्रसिद्ध नाम पीतशाल है। ( Indian
(Ared tailed lizard) kino tiac ) प्रासन, विजयसार, साल का अतिकशा aikles
अकशी ajakeshi-सं० रो० नीलीवृक्ष, नील पेड़-हिं । पारसना, पियासाल-बं०।
( Indigofera tinctoria, Linn.) गुण-कटु, तिक, कपाय, उष्णवीर्य, कफ,
. ० निधः। पागडु, कर्णरोग, प्रमेह, कुट, विप विकार तथा अजखीरू aajakhisa-अ० कछवा (A calf) अण-नारांक है। भा० पू०मा० वटा०प०। श्रागajaga-स. राई, सरसों, सर्पप, (in(Sal tree ) सर्ज वृक्ष, साग्य । ग.
निp is dichotoma) ... व० महा तरु, शाल का एक भेद है। अजगर jugni-हि..संज्ञा प० [सं०]
महासाले वृक्ष। पु०स०३८, गणः डा . gaspint, th: bot cons. अजकाशालnjakalinashala-f: संज्ञा i ctor अकरी निगलने वाला; कोच, बहुत ५ .Thenal tipo (Shora robu- मोटी जाति का साँप जो अपने सरीर के भारीपन
sta, Gartn.) साल, साव। ..... के कारण फुरती से इधर उधर डोल न. सकता श्रजको ajaka-सं०स्त्री०१-(Scr ofulous
और बकी तथा हिरन ऐसेब पशुयोंको निगल dishase of the goat ) अजागलस्तन । .
... जाता है । और स ग के समान इसमें विष नहीं (बकरे का गलगण्डरोग)। देखा-गल स्तन ।
" होता । यह जनु अपनी स्थूलता और गिरुयमता ...२ छाग पुरीष, लेंडी (Goats duny)।
के लिए प्रसिद्ध है। ३-(A young she-gout)| ४-जो ।
अजगर: jugaarth-सं० पु. । सर्प विशेष,
| अजगर ajayari-ह. सज्ञा पुं०) बहुत मोटा शुक्र कुछ ताँबे के से रंग का, पिच्छिल, रावी,
. साँप । Alargeserpit (Bon co. कुछ ताँबे के से रंग की फुसियों से युक्त,
nstrictor) who is sail to SW 1- अत्यन्त वेदना सहित बकरी की मैंगनी के सहरा |
! llow goats | मद०१२। १०६. विले. ' ऊँचा और कृष्ण वर्ण का होता है, उसे श्राजका ।
शय(अर्थात् विल में रहने वाला) मग विशेष । कहते हैं। ग्रह रन से उत्पन्न होता है । और असाध्य भी है । वा० उ० १० अ०। (५)
पा-शंयुः, वाहनः, । (१०)। यह अर्श शुक्र तुलसी (Ocimum album,lint.)।।
( बवासीर) में हितकारी है । सु० ० ४६ इं० मे० मे० ।
अजगल ajagala-दे० अजागल ।..: अजका जान jakājāta-fio सज्ञा प० । अजगलिका a.jagalika-हिं० संज्ञा स्त्रो० ) अजकाजातम् a.jakajatan :सं०बी०....) अजगलिका ajagalliki .सं. स्त्री० . . प्राग्व में होने वाली लाल फूली जो पुतली को अजगली ajagalli-सं० स्त्री०
) . ढक लेती है। टेंटड़ वा ढड़। नाखना । चक्षु । बर्बरी वृक्ष, वनतुलसी । बाबुद्द तुलसी-बं० ।
तारा में होने वाला रोग विशेष । काले भाग में । ( Ocimum album, Tinn. ) भा० बकरी की सूखी लेंडी के समान पीडायुक लालपू०१ भा० पु० । क्षुद्ररोगान्तर्गत बालरोंग तां गाढ़े आँसुओं को बहाने वाली शुक्र (फूली) विशेष । यह कफ वात जन्य होता है । वो० उ. की वृद्धि होती है उसको अजकाजात नानक शुक्र ३१ अ० । बालकों के चिकनी, शरीर के समान जानना चाहिए। यह तृतीय त्वचा में प्राप्त होती वर्ण की, गठीली, पीड़ा रहित, मूंग के दाने के
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