________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ચતુય પ્રકાશ આશ્રય આપી દાસને, કરે માતજી શાંત, 16 અધિક માત શું હું લવું, લબાડમાં લેવાઉ, 53. 15 तुम याशिया ઘટિ ઘટિ મા તુજને જપે, સજોડિ હાય આ દાસ, " તૂજ કૃપા મા મને, પ્રગટયું જ્ઞાન પ્રકાશ, (18 Cc---- .. इतिथि कृणमूर निवाशी विद्याराम सनुजनुषा कवि भाइशं कर पाडित विरचिते आयर्वेदादित्य ग्रंथे कालगति विवंचन रोग बिनाशक जत्र, रशीकर्ण जत्र. दुःखहारक जंत्र, अनुष्य वल वर्धक जंत्र, खलजीतक जत्र. भयहणं जंत्र, विष विडारण जंत्र, प्रसुती करनारो जंत्र, ज्ञानवर्धक जंत्र, नियज्वरहारक त्र. पुत्र प्राप्तकर जत्र; शत्रूविनाशक जल; गर्भापड्य हर जैल; पर मिती मेंलक जत्र, भय बिडारण जंत्र, धान्य वर्धक जंत्र, हिंदमां शार्य शाव यता, धातू तथा मारणविधी चत्र ज्ञान, ऑपशनां भिन्य रूप, देशी तथा इंग्रेजी दवानां ताल मापनां कोष्टको, ने ग्रंथ अंत सूत्री आदि वर्णनना नाम चतुर्थ प्रकामा संपुर्ण // तथास्तू // For Private and Personal Use Only