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अशुद्ध शोधनम् .
पुटे. पतो.
अशुद्धम्, सेति पाया कला दी
शुद्धम् स इति पाका कलादा
14
हेतु
26 18 28 18
अजीणा नोपद्य कार्य क्रिया क्रमः
भागो व्यञ्जान कृती हि ज्येष्यतंकफ गभि वधर्क जन्यां तेभिन्न स्मनैव
अजीर्णा नोपपद्य कार्या क्रियाक्रमः क्षुत्तृ भागो व्यञ्जन कृत हर्षे हृत्कफ गाभवर्धक जन्या ते भिन्न त्मन्येव सिरा पद्म तथा
384 40 19 43 16 47 16 54 10
सिर
567
पन
61
तथ
4 88 21 956
तेजो
तेजा द्वायु तजू स्मिका AYURVEDA
दायु तज् त्मका
102 1065
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