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विषयाः.
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संक्षेपतः कालनिरूपणम् .....
तत्तन्नक्षत्रेषु तत्तद्रोगाविर्भावकथनम्
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चतुर्दशः प्रश्नः.
सप्तत्रिंशत्सरात पाद जानुपद्मादीनां तत्तनक्षत्रात्मकलं, तत्तद्व
बोधकत्वं च
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रक्तपित्तामयप्रकोपहारकद्रव्यानरूणम् श्वासकासरक्तप्रकोपहारकद्रव्याणि
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अश्विन्याद्यार्द्रान्तनक्षत्र विंगतियोगग्रहयुक्त कालसंयोगवशाजातततद्रांगप्रतिपादनं, तन्निवर्तकद्रव्यकथनं तत्तन्नक्षत्र देवताप्रार्थनादिरूपभेषज निरूपणं च
पञ्चदशः प्रश्नः.
पुनर्वस्वादि नक्षत्रविगतियोगप्रहयुक्त कालसंयोगवशाज्ञाततत्तद्रोगातपादनं, तन्निवर्तक द्रव्यकथनं, तत्तद्देवता प्रार्थना
दिकं च रक्तपित्तविकारकारकाः
तनिवर्तका:
हिध्मारोगनिवर्तकद्रव्याणि
धातुका कार कामयघातकद्रव्याणि
चूर्णीकृत पटोलादिदव्याणां रक्तपित्तामयादिविनाशकत्वम्
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षोडशः प्रश्नः.
ससदोगविघातकलेह्यादिरूपतत्तद्रव्यगुणप्रतिपादन म्
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0440
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सूत्रम्.
पुटम्.
1-29 293
30-35 296
36-62 296
63-87 297
1-62 299
63 303
64 303
65 304
68 304
71
304
73 305
74-79 305
1-46 306