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उत्तरस्थान भाषाटीकासमेत।
अर्थ-सद्योव्रण में सातदिन तक इस | कमल के पत्तों से लिपटी हुई उंगली द्वारा प्रकार चिकित्सा करने से प्रशमन होजाता। पीडन करे । है। यदि सात दिनमें घाव अच्छा नहोतो
नेत्ररोग पर घत । पूर्वोक चिकित्सा करना चाहिये । ततोऽस्य सेचने नस्ये तर्पणे च हित हविः।
घृष्ट ब्रणमें चूर्ण। विपकमा यष्टयाव्हजीवकर्षभकोत्पलैः । प्रायः सामान्यकर्मेदं वक्ष्यते तु पृथक्पृथक | सपयस्कः परं तद्धि सर्वनेत्राभिघातजित्। घृष्टे रुजं निगृह्याश व्रणे चूर्णानि योजयेत् ॥ अर्थ--इस तरह नेत्र को अपने स्थान
अर्थ-सब प्रकार के ताजी घावों की । पर स्थापित करके , मुलहटी ,जीवक,ऋषचिकित्सा कही गई है, अब इन घष्टादि । भक और उत्पल इनका कल्क करके दूधके घावों की चिकित्सा का विशेषरूपसे अलग साथ बकरी का घी पकाकर इस घीकोसेचन अलग वर्णन करते हैं । घृष्ट ब्रणमें वेदना
नस्य और तपर्ण द्वारा उपयोग में लावै । को शान्त करके चूर्ण का प्रयोग करना यह घी नेत्रों की सब प्रकार की चोटमें चाहिये।
| हितकारी होताहै । अवकृत्त की चिकित्सा।
नेत्रका अन्यरोग। फलकादीन्यवकृत्ते तु
गलपीडावसन्नेऽक्षिण वमनोरलेशनक्षवाः। अर्थ-अवकृत्त नामक घाव में कल्कादि | प्राणायामोऽथवाकार्यःक्रियाचक्षतनेत्रवत् । का प्रयोग करना चाहिये ।
___ अर्थ--गलेके दर्द के कारण जो नेत्र अवसन्न अविलंबित का उपाय । विच्छिन्नप्रविलंबिनो।
होगये होतो वमन, उक्लेश, छींक वा प्राणासीवनं विधिनोक्तेन वंधनं चानुपीडनम् ॥ याम करना चाहिये । इसमें नेत्रके घायके
अर्थ-विच्छिन्न और प्रविलंबी घावोंमें | सदृश चिाकत्सा करना हितकारी होता है । पूर्व कथित विधि के अनुसार सीवन बंधन । कान में सीमन । और अनुपीडन करना चाहिये ।
कर्णेस्थानाच्च्युते स्यूतेस्रोतस्तैलेन पूरयेत्। स्फुटितनेत्र में कर्तव्य ।।
___ अर्थ--कान जब अपने स्थान से भ्रष्ट असाध्यं स्फुटितं नेत्रमदीर्ण लंबते तु यत। होजाय तब वहां टांके लगाकर कानके छेदमें सन्निवेश्ययथास्थानमध्याविद्धसिरंभिषक। तेल भरदे । पीडयेत् पाणिना पद्मपलाशांतरितेन तत् । छिन्नककटिका में सीमन ।
अर्थ--नेत्र फूटजाने पर असाध्य होताहै काटिकायांछिन्नायांनिर्गच्छत्यपि मारुते॥ जो नेत्र फूटता नहीं है और दीर्ण होकर समनिवश्यबन्धीयात्म्यूत्वाशीघ्रंनिरंतरम् लटक पडता है उसकी सव शिराओं को अर्थ-ग्रीवाके छिन्न होजाने पर. यदि ऐमी रीति से इकट्ठी करे फि बिद्ध न होने वायु उसमें होकर निकलने लगे तो उसको पाये और नेत्र को अपने स्थान पर लगाकर शीघ्रतापूर्वक यथास्थान में स्थापित करके
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