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(७३८)
__ अष्टांगहृदय ।
म. ३
लक्षण शकुनि नामक ग्रह के द्वारा आक्रमण | छली की सी वा खट्टी गंध आना ये सब होने पर उपस्थित होते हैं।
लक्षण अंधपूतना, के आक्रमण में होते हैं। पूतनाग्रह के लक्षण । दृष्टिपूतना भी अंधपूतना का दूसरा नाम है। पूतनायां वामिः कंपस्तंद्रा रात्रौ प्रजागरः ।
मुखमंडिताके लक्षण । हिमाध्मानं शकुन्द्रेदः पिपासा मूत्रनिग्रहः | मुखमंडितया पाणिपादस्य रमणीयता। सस्तहष्टांगरोमत्वं काकवत्पूतिगंधता २१ सिराभिरसिताभाभिराचितोदरता ज्वरः । - अर्थ-वमन, कंपन, तंद्रा, रातमें नींद | अरोचकोऽगग्लपनं गोमूत्रसमगंधता । न आना, हिचकी,अफरा,मलका फटजाना, ____ अर्थ-हाथ पावों में रमणीयता, काली . तृषा का वेग, मत्रका कम होना, देहमें शि- काली सिराओं द्वारा पेटका ब्याप्त होजाना थिलता, रोमांच खडे होना और कौए के ज्वर, अरोचक, अंगग्लानि, और देहमें से समान सडी हुई गंधका देहसे निकलना ये गोमूत्र की सी गंध आना ये सब लक्षण सब लक्षण पूतना रोगमें उपस्थित होतेहैं । । मुखमंडिता के आक्रमण के होते है ।
शीतपूतना के लक्षण । व रेवती के लक्षण । शीतपूसनया कंपो रोदनं तिर्यगीक्षणमवेत्यां श्यावनीलत्वं कर्णनासाक्षिमर्दनम् । तृष्णांवकूजोऽतीसारो वसायद्वितगंधता। कासहिध्माक्षिविक्षेपवक्रवक्त्रत्वरक्तताः । पार्श्वस्यैकस्य शीतत्वमुष्णत्वमपरस्य च ।
वस्तगंधो ज्वरः शोषः पुरीषं हरितं द्रवम् __ अर्थ-कांपना, रोना, तिरछी, दृष्टि से
। अर्थ-देहका श्यात वा नीलवर्ण होना, देखना, तृषा, अंत्रकूजन, असिार, चर्वीके
कान नाक और आंखोंका भर्दन, खांसी समान संडी हुई गंध, एक पसवाडे में ठंडा- हिचकी, आंखों का इधर उधर फेंकना, मुख पन और दूसरे में गरमाई ये सब लक्षण
का टेढापन, ललाई, देहमें बकरे की सी शीतपूतना के आक्रमण में होते हैं। गंध आना, ज्वर, शोषं, मलका हरा और
अंधपूतना के लक्षण । और पतला होजाना । ये सब रेवतीनामक अधपूतनया छर्दिवरः कासोऽल्पवन्हिता प्रहके आक्रमण के लक्षण हैं। . वर्चसो भेदवैवर्ण्यदौर्गध्यान्यंगशोषणम् ।। शकरेवती के लक्षण । रष्टिसादोऽतिरुवंडूपोथकीजन्मशून्यताः । हिमाद्वेगस्तनद्वेषवैवर्ण्य स्वरतीक्ष्णता।
जायते शुष्करेवत्यां क्रमात्सर्वांगसंक्षयः । षेपथुर्मत्स्यगंधित्वमथवा साम्लगंधिता ।
अर्थ-शुष्करेवतीके आक्रमण से बालक अर्थ-वमन, ज्वर, खांसी, मंदाग्नि,
का संपूर्ण देह धीरे धीरे सूखता चलाजाताहै | मलका फटना, विवर्णता, दुर्गधि, देहका
ग्रहोंके असाध्य लक्षण । सूखना, दृष्ठिमें शिथिलता, अत्यन्त वेदना,
केशशातोन्नविद्वेषः स्वरदैन्यं विवर्णता २९
रोदनं गृध्रगंधित्वं दीर्घकालानुवर्तनम् । . खुजली, पोथकी (नेत्ररोग), देहमें सुन्नता, थयो वत्ता यस्य नानाविधं शकृत् हिचकी, उद्वेग, स्तनपान न करना, विवं. जिव्हायानिम्नतामध्येश्यावंतालुचतं त्यजेत् र्णता, स्वर में तीखापन, कांपना, देहमें म- | अर्थ-ग्रहोंसे पीडित होनेपर जिस बा
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