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चिकित्सितस्थान भाषाठीकासमेत ।
अर्थ - जो पापी वैद्य अज्ञानतासे आमज्वर में देष का परिपाक न होनेपर आमको निकालनेवाली दवा देता है वह सोतेहुए काले सर्पको उंगलियों से स्पर्श करता है । इसका यह सारांश कि आमज्वर में दोषको निकलने वाली औषधसे प्राणहारक संकट उपस्थित होजाते हैं ।
ज्वरक्षीणमें कर्तव्य |
रक्षीणस्य न हितं वमनं च विरेचनम् । कामं तु पयसा तस्य निरूहैर्वा हरेन्मलात् ॥
अर्थ- जो मनुष्य ज्वरसे क्षीण हो गया है, उसको वमन वा विरेचन हितकारी नहीं है उनका मल यथेच्छ दुग्धपान वा निरूहण द्वारा निकालना चाहिये ।
क्षीरोचित को क्षीरें | क्षीवितस्य प्रक्षीणश्लेष्मणो दाहतृड्वतः । क्षीरं पित्तानिलार्तस्य पथ्यमप्यातसारिणः ॥
अर्थ- जिसको दूध पीनेका नित्य अभ्यास होगया है, जिसका कफ अत्यन्त क्षीण होगया है और दाह तथा तृषा विद्यमान हैं, ऐसे वातपित्तरोगी को दूध अवश्य देना चाहिये, यहां तक तो है कि अतिसारवाले रोगी को भी इस दशा में दूध देना पथ्य है ।
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( ४१५ )
जाता है | शरीरलाघवकरं यत् द्रव्यं कर्म वा पुनः, तल्लंघनमितिज्ञेयम् | यहां शरीर में लाघवता करने वाले द्रव्य और कर्म को लंघन कहते हैं । उपवासरूप लंघन का ग्रहण नहीं है ।
संस्कृतदूध का ग्रहण |
संस्कृतं शीतमुष्णं वा तस्माद्धारोष्णमेव वा विभज्य काले युजीत ज्वरिण हत्यतोऽन्यथा अर्थ- संस्कृत अर्थात् अन्य द्रव्यों के साथ पकाया हुआ दूध, ठंडा वा गरम अथवा धारोष्ण दूध का यथाविषय और यथाकाल की विवेचना करके प्रयोग करना चाहिये । उक्त नियमसे विपरीत दूधका प्रयोग करने पर दूध ज्वररोगी को मार है ।
शुय्यादि द्वारा संस्कृत दूध | पयः सशुंठी खर्जूरमृद्वीकाशर्कराघृतम् । श्रुतशीतं मधुयुतं तृड्दाहज्वरनाशनम् ॥
अर्थ- सोंठ, खिजूर, मुनक्का, मिश्री और ' घृत डालकर दूध को पकालेवे फिर छान कर ठंडा होने पर शहत मिलाकर पीयें, इससे तृषा, दाह और ज्वर का नाश हो जाता है ।
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द्राक्षादि संस्कृत दूध |
देहधारण में दूधको उत्कृष्टता । तद्वपुलैघनोत्ततं प्लुष्टं वनमिवाग्निना । दिव्यां जीवयेत्तस्य ज्बरं चाशु नियच्छति
खरेटी,
तद्वद् द्राक्षाबलायष्ठीसारिवाकणचंदनैः । चतुर्गुणेनांभसा वा पिप्पल्या वा श्रुतं पिवेत् अर्थ - ऊपर कही रीतिसे दाख, अर्थ-दावाग्नि से जड़ा हुआ बन जैसे मुलहटी, सारिवा, पीपल, और रक्तचंदन डावर्षा के जल से फिर अंकुरित होजाता है। ल कर पकाया हुआ दूध ठंडा होनेपर शवैसेही लंघनों से उत्तप्त देह दूधसे सजीव हत डालकर पीनेसे तृषा, दाह और ज्वर हो जाती है और अवर भी शीघ्र शांत हो | शांत होजाता है, अथवा चौगुने जलमें मिला
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