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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका । - - विषय. पृष्टांक. ६ . " पृष्टांक. विषय. उत्तरवास्ति की संख्या | प्रतिमर्श का काल और मात्रा १८५ स्त्रियों को उत्तर वस्ति प्रतिमर्श का फल नेत्र का परिमाण पय परत्व से नस्यादि का नियम उत्तरवस्ति की मात्रा प्रतिमर्श का सदा सेवन स्त्रियों को उत्तर वस्ति की विधि प्रतिमर्श में तेल को श्रेष्ठत्व फिर वस्ति का प्रयोग मर्श और प्रतिमर्श का भंतर वस्ति देने का नियम अणु तैल बस्ति को प्रयोजन नस्य सेवन के गुण वायु का प्राधान्य एकविंशतितमोऽध्यायः । घस्ति को वायु का शमनत्व धूमपानकी आवश्यकता वस्ति का महत्व धूमपान के भेद विंशोऽध्यायः । धूम के अयोग्यरोगी नस्य साध्य विकार धूमपान के उपद्रव और उनकी वि० १८८ नस्य के भेद धूमपान का काल विरेचन नस्य । धूमपान की नली का स्वरूप बृहण नस्य धूमपान के नेत्र की लवाई शमन नस्य धूमपानकी विधि नस्य की औषधे धूमपान का क्रम नस्य के अन्य भेद १८१ धूमपान का नियम अब पीड नस्य "दिनमे धूमपान की संख्या प्रधाननस्य मृदु का धूमपान मर्शस्नेह का परिमाण मध्यम धूमपान के द्रव्य नीचेलिखे मनुष्यों को नस्यदेनी चाहिये ,, तीक्ष्ण धूमपान के द्रव्य नस्य के अयोग्य रोगी धूमवर्ति का विधान नस्य को काल और दोष धूमपान का अन्य प्रकार ऋतु परता से नस्य काल धूमपान का फल दोष परत्व से नस्य काल नस्य का विधि - द्वाविंशतितमोऽध्यायः । नस्य की मात्रा गंडूष के भेद और विधि नस्य जन्य मूर्छा का प्रतिकार दंत हर्षादि रोग में गंडूष विरेचन नस्य के पीछे के कर्म सामान्य गंडूष नस्य के सम्यक् योग का लक्षण ऊषादाहादिक में गंडूष नस्य का रनक्ष योग मधु गंडूष धारण के गुण अनिस्निध्ता के लक्षण धान्याम्ल गंडूष के गुण सुविरिक्त और दुर्विरिक्त अलषण धान्याम्ल के गुण प्रतिमर्श का विषय १८५ । क्षारजल के गंडुष For Private And Personal Use Only
SR No.020075
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKishanlal Dwarkaprasad
Publication Year1867
Total Pages1091
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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