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( ९७४)
मष्टांगहृदय ।
अर्थ:-जो मनुष्य अन्न का सेवन न | असाध्य रोग से आक्रान्त होनेपर भी रोग करता हुआ घी में भुनी हुई मंडूकपर्णी को | रहित, बुडढा हानेपर भी प्रवल पुरुषार्थ एक महिने तक सेवन करताहै वह पराक्रमी | कारी, और युवा की तरह गठीली देहवाला तथा तरुणाई और लावण्य से युक्त होकर | और कान आंखसे युक्त होकर पांच सौ वर्ष दीर्घ कालतक जीता है।
तक जीता है। अन्य प्रयोग।
नरसिंह घृत। लांगलोत्रिफलालोहपलपंचाशतीकृतम् । | गायत्रीशिखिशिशिपासनशिवायेल्लाक्षका. मार्कवस्वरसे षष्टया गुटिकानां शतत्रयम् ।
रुष्करान् छायाविशुष्कं गुटिकाधमचा- | पिष्टवाष्टादशसंगुणेभसि घतान् खंडेःत्पूर्व समस्तामपि तां क्रमेण ।
सहायोमंयैः ॥ १७०॥ भजेतिरिक्ताः क्रमशश्च मंडं पाने लोहमयेयहरविकरैरालोडयन्पाचये पेयां विलेपी रसकोदनं च ॥ १६७ ॥ दग्नौ वानुमृदौ सलोहशकलं पादस्थितं. सर्पिः निग्धं मासमेकं यतात्मा
तत्पचेत् ॥ १७१ ॥ मासादूर्व सर्वथा स्वैरवृत्तिः ।
पूतस्यांशः क्षीरतोशस्तथांशी वज्यं यत्नात्सर्वकालं त्वजीर्ण ।
भांर्गानिर्यासाद् द्वौ वरायास्त्रोंशाः । वर्षेणैवं योगमेवोपयुंज्यात् ॥ १६८॥
अंशाश्चत्वारश्चह हैयंगवीनाभवति विगतरोगो योऽप्यसाध्यामयातः ।।
देकीकृत्यैतत्साधयेत्कृष्णलौहे १७२ प्रबलपुरुषकारः शोभते योऽपि वृद्धः।।
विमलखंडसितामधुभिः पृथउपचितपृथुगामश्रोत्रनेत्रादियुक्त
ग्युतमयुक्तमिदं यदि वा घृतम् । स्तरुग इव समानां पंच जीवेच्छतानि१६९ /
स्वरुचिभोजनपानविचेष्टितो अर्थ- कलहारी, त्रिफला, लोहा, इनको भवति ना पलशः परिशीलयन् १७३ ५. पल लेकर भांगरे के रसमें पीसकर श्रीमानिधूतपाप्पा वनमहिषबलो ३६० गोलियां बना लेवे । इन सब गोलियों
वाजिवेगः स्थिरांगः
केशै गांगनीलैमधुसुरभिमुखो को छाया में सुखाकर पहिले आधी आधी
नेकयोषिनिषेवी। गोली खाय, फिर पूरी गोली खानेका अभ्यास
पामेधाधीसमृद्धः सपटुहुतबहो करे । इससे विरेचन होनेपर क्रमसे मंड, मासमात्रादयोगाद् पैया, विलेपी, और मांसरस का पथ्य देवे । धत्तेऽसौ नारसिंह वपुरनलशिखा.
तप्तचामीकराभम् ॥ १७५॥ इस तरह एक महिने तक संयतात्मा होकर
अत्सारंनारसिंहस्यव्याधयोनस्पृशत्यपि घृत सहित स्निग्ध अन्नका भोजन करें। एक
चक्रोज्वलभुजंभीतानारसिंहमिवासुराः महिने पीछे इच्छानुसार खाना पीना करै । अर्थ-जावित्री, चीता, शीसम, असन, इसमें अजीर्ण भोजन सदा वर्जित है । इस । हरड, वायविडंग, यहेडा और भिलावा इन तरह एक वर्ष सब गोलियों को खा लेवे। सब द्रव्यों को शिला पर पीसकर अठारह इन गोलियों का सेवन करनेवाला मनुष्य | गुने पानी में घोलकर उम में थोड़े से लोहे
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