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(७३०)
'अष्टाङ्गहृदयेएरण्डमूलात्रिपलं पलाशात्तथा पलांशं लघुपञ्चमूलम् ॥रास्नाबलाच्छिन्नरुहाश्वगन्धापुनर्नवारग्वधदेवदारु ॥७॥फलानि चाष्टौ सलिलाढकाम्यां विपाचयेदष्टमशोषितेऽस्मिन् ॥वचा शताह्वाहपुषाप्रियड्डयष्टीकणावत्सकबीजमुस्तम् ॥ ८॥ दद्या त्सुपिष्टं सहतायशैलमक्षप्रमाणं लवणाशयुक्तम् ॥समाक्षिकस्तैलयुतः समूत्रो बस्तिर्जयेल्लेखनदीपनोऽसौ ॥९॥जंघोरुपादत्रिकपृष्ठकोष्टहृद्ह्यशूलं गुरुतां विबन्धम्।।गुल्माश्मवमंग्रहणीगुदोत्थांस्तांस्तांश्च रोगान्कफवातजातान्॥१०॥
अरंडकी जड १२ तोले और केसू १२ तोले लघुपंचमूल ४ तोले और रायशण खरेहटी गिलोय असंगध शाठि अमलतास देवदारु ये सब चार चार तोले ॥ ७ ॥ मैंनफल ३२ तोले इन सबोंको ५१२ तोले पानी में पकावै, जब आठवां हिस्सा शेष रहे तव वच सौंफ हाऊबेर मालकागनीं मूलहटी पीपल इन्द्रयव नागरमोथा ॥ ८॥रशोत शिलाजीत ये सब पिष्टकिये एक एक तोले पीछे चार मासे सेंधानमकसे संयुक्त और शहद तेल गोमूत्रसे संयुक्तकरा बस्ति लेखनहै, दीपनहै और वक्ष्यमाण रोगोंको जीतताहै ॥९॥ जंघा ऊरू पैर त्रिकस्थान पृष्ठ कोष्ट हृदय गुदाके शूलको और भारीपनको और विबंधको और गुल्म पथरी वर्मरोग संग्रहणी बवासीर कफ और वातसे उपजे अनेक प्रकारके रोगको जीतताहै ॥ १० ॥
यष्ट्याह्वरोधाभयचन्दनैश्च शृतं पयोऽयं कमलोत्पलैश्च ॥ सशर्कराक्षौद्रघृतं सुशीतं पित्तामयान्हन्ति सजीवनीयम् ॥ ११ ॥ मुलहटी लोध खस चंदन कमल नीलाकमल इन्होंकरके पकायालुआ दूध श्रेष्ठ होजाताहै खांड शहद घृतसे संयुक्त किया और शीतल किया और जीवनीयगणके औषधोंसे संयुक्त दूध पित्तके रोगोंको नाशताहै ॥ ११ ॥
रास्त्रां वृष लोहितिकामनन्तां बलां कनीयस्तृणपञ्चमूल्यौ ॥ गोपाङनाचन्दनपद्मकड़ियष्टयाह्वरोध्राणि पलार्द्धकानि॥१२॥ निःकाथ्य तोयेन रसेन तेन शृतं पयो ढकमम्बुहीनम् ॥
जीवन्तिमेदद्धिवरीविदारीवीराद्विकाकोलिकसेरुकाभिः॥१३॥ सितोपलाजीवकपद्मरेणुप्रपौण्डरीकोत्पलपुण्डरीकैः।लोहात्मगुप्तामधुयष्टिकाभिर्नागाह्वमुञ्जातकचन्दनैश्च॥१४॥पिष्टै तक्षौद्रयुतैर्निरूह ससैन्धवं शीतलमेव दद्यात्॥प्रत्यागते धन्वरसेन
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