________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६७६)
अष्टाङ्गहृदयेनिशाकणानागरवेल्लतौवरं सवह्निताप्यं क्रमशो विवर्धितम् ॥ .
गवाम्बु पीतं वटकीकृतं तथा निहन्ति कुष्टानि सुदारुणान्यपि ॥ हली पीपल सूट वायविडंग तोरणी चीता सोनामाखी ये सब क्रमसे बढेहुये लेवे इन्होंका चूर्ण गोमूत्रके संग पानकिया अथवा गोली बनाके खायाहुआ दारुणरूप कुष्ठोंको नाशताहै ॥ ४२ ॥ त्रिकटूत्तमातिलारुष्कराज्यमाक्षिकसितोपलाविहिता ॥ गुलिका रसायनं स्यात्कुष्टजिच्च वृष्या च सप्तसमा॥४३॥ त्रिकुटा त्रिफला तिल भिलावां घत शहद मिसरी ये समान भागले रचीहई सप्तसमा नामवाली गोली रसायन है कुष्टको जतिती है और वृष्यहै ।। ४३ ॥
चन्द्रशकलाग्निरजनीविटङ्गतुवरास्थ्यरुष्करत्रिफलाभिः ॥ वटका गुडांशक्लुप्ताः समस्तकुष्ठानि नाशयन्त्यभ्यस्ताः॥४४॥ वावची चीता हलदी वायविडंग देवशिरसके फलकी गुंठली भिलावां त्रिफला इन्होंकरके गुडमें बनाई गोली अभ्याससे सब प्रकारके कुप्टोको नाशतीहै ।। ४४ ॥
विडङ्गभल्लातकबाकुचीनां सदीपिवाराहिहरीतकीनाम् ॥ सलाङ्गलीकृष्णतिलोपकुल्या गुडेन पिण्डी विनिहन्तिकुष्ठम्॥४५॥ बायविडंग भिलावा बावची चीता वाराहीकंद हरडै कलहारी कालेतिल पीपल इन्होंकी गुडमें बनाई गोली कुष्ठको नाशतीहै ॥ ४५ ॥
शशाङ्कलेखा सविडङ्गमूला सपिप्पलीका सहुताशमूला ॥ सायोमला सामलका सतैला कुष्टानि कृच्छ्राणि निहन्ति लोढा४६ बावची बायविडंगकी जड पीपल चीताकी जड लोहका मैल आमले तिल ये सव चाटेहुये कष्टसाध्य कुष्ठोंको नाशतेहैं ॥ ४६॥
पथ्यातिलगुडैःपिण्डी कुष्ठं सारुष्करैर्जयेत् ॥
गुडारुष्करजन्तुघ्नसोमराजीकृताऽथवा ॥ ४७ ॥ हरडै तिल गुड भिलावाँ इन्होंकरके बनाई गोली अथवा गुड भिलावाँ वायविडंग बावची इन्होंकरके बनाई गोली कुष्ठको नाशतीहै ॥ ४७ ।।
विडङ्गाद्रिजतु क्षौद्रं सर्पिष्मत्खादिरं रजः॥
किटिभश्वित्रदद्रुघ्नं खादेन्मितहिताशनः॥४८॥ · वायविडंग शिलाजित शहद घृत खैरका चूर्ण इन्होंको प्रमाणित और पथ्य भोजन करनेवाला मनुष्य खावे यह योग किट्टिभ कुष्ठ श्वित्र ददूको नाशताहै ॥ ४८ ।।
For Private and Personal Use Only