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अनुक्रमणिका। विषय,
पृष्ठ. विषय. एकादशोऽध्यायः ११ . । वृद्धि प्लीहारोग वातरक्त कुष्ठ .
उन्माद अपस्मारादिनाशकं धन्वं. मूत्राघात चिकित्सितनामक
तरिघत .... ..... .... ६०९ व्याख्या .... .... .... ५९९
पाण्डुरोग त्वचारोग ग्रहणीदोष स्थूलवतज मूत्रकृच्छनिवारणार्थोपचार ... .. पित्तज मूत्रकृच्छ्र निवारणार्थोपचार ,
पनादि निवारणार्थोपचार .... , कफज मूत्रकृच्छ्र निवारणार्थोपचार ६००
सर्व प्रकारके प्रमेह तथा गंडमाला वातज पथरीनाशक धृत .... .... ६०१
अर्बुद ग्रंथी स्थूलपना कुष्ठ भगंपथरीहरण बहुविवि उपचार .... "
दर कृमिरोग श्लीपद शोजादि तत्काल पथरी निवारणार्थ घृत .... "
हरणार्थ शिलाजीत खानविधि .... ६१० पथरी पातनोपचार
प्रमेहहरणार्थ बहु उपाय .... ६११ .... .... ६०२ सर्व प्रकारके मूत्रविकार हरणोप
त्रयोदशोऽध्यायः १३ चार .... .... .... पथरीपात तथा हरणोपचार वि
विद्रधिवृद्धिचिकित्सित नामक व्याख्या ६१२
विद्रधि हरणार्थ विधि .... .... " चार
विद्रधिनाशार्थ बहुउपचार यंत्रद्वारा पथरी भेदन विधान .... ६०४
वात पित्त कफादि विद्रधि हरणोपथरी व्याध्यन्तसंयम नियम .... ६०५
पचार अष्टप्रकारकी व्याधिमें शस्त्रव
..... .... .... " र्जित
| विद्रधि गुल्म विसर्प दाह मोह महा
ज्वर तृपा मूर्छा छर्दि हृद्रोग रक्तद्वादशोऽध्यायः १२
पित्त कुष्ठ कामला नाशक । प्रमेहचिकित्सित नामक व्याख्या .... ६०७
काथ .... .... .... ६१३ प्रथम वमनविरेचनोपाय .... ....."
पुनः पूर्वोक्तगुणदायक घृत .... " प्रमेह नाशक काथ ....
छेदनइत्यादि विद्रधिनिवारण
.... " वातज प्रमेहहरणोपचार .... ....
शिक्षा .... ..... .... ६१४ वातज तथा कफज प्रमेह नाशकोप विद्रधिनिवारणार्थ बहुविधि उपचार
विचार .... ६०९
.... .... ....
.... , सर्वप्रकारके प्रमेहपिटिका विष पाण्डु चूचियोंकी विद्रधि नाशक उपाय .....६१५ विद्रधी गुल्मरोग बवासीर शोष वातवृद्धि निवारणार्थ सुकुमार त्रिवृतनाशोजा गरोदर श्वास खांसी छर्दी । मक लेह तथा विधि .... .... "
चार
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