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(५०)
अष्टाङ्गहृदयसंहिताकी
विषय,
पृष्ठ,
विषय.
पित्तकी अधिकतावाले मदात्यय नाशक
मस्से नाशार्थ चूर्ण .... उपचार .... .... .... ५३६
बवासीर नाशक हिंग्वादि चूर्ण .... , तृषा तथा दाहवाला मदात्यय तथा
बवासीर नामक सतुआ .... .... ५५४ पित्तके मदात्ययमें रक्तका थूकना . . बवासीर नाशक तक .... तथा वातपित्तकी अधिकतामें । बवासीर नाशक चटनी .... ... अतितषाचाले मनुष्यके हितार्थ
बवासीर नाशक पेया ... .... अनेक विचार उपचार ... ५३७ बवासीर नाशक चावल .... .... कफकी अधिकतावाले मदात्यय नाशक
बवासीर पीडा खाज नाशक तथा विधि .... .... .... ५३८
बलवर्द्धक तक्रारिष्ट .... .... ५१५ मद्यसेवन गुणागुण .... .... ५४ १
बवासीर नाशक बहुविधिउपचार .... , मद्यसेवन काल .... ....
कफज बवासीर कुष्ठ शोजा गुल्म ५४५
.... मद और मूर्छारोगमें प्रयुक्त कारक
प्रमेह उदररोग कृमिरोग ग्रंथि औषधि .... .... .... ५४७
अर्बुद अपची स्थूलता पांडुरोग संन्यासरोंगोपचार ११६.... .... ५४९
वातरक्त नाशक हर..... .... १५६
मस्सोंकी पीडा हरणार्थ पाठा .... ५५७ . अष्टमोऽध्यायः ८
बवासीर ग्रहणीरोग पांडु कुष्ठ विषबवासीरचिकित्सित नामक व्याख्या ५४९
ज्वर उदररोग शोजा प्लीहरोग शलाका फेरना तथा मस्सेको दग्ध
हृदोग गुल्म राजयक्ष्मा छर्दिकृमि करना .... .... ... ५५० नाशक अरिष्ट .... .... ५५८ मस्सेको क्रमशः उपचारित करना .... , बवासीर नाशक घृतपानविधि .... । बस्तिस्थान शूलनाशक विधि .... ५५१ गुदा अंडसंधिकी पीडा प्रवाहिका विष्ठा और मूत्रबंधोपचारित .... , गुदभ्रंश मूत्रकृच्छ्र परिवत्रजीतस्तंभ खाज शूल शोजादि संयुक्त
नार्थ प्रयोग .... .... .... १५९ गुदाके सेचितार्थ तैल .... , अफारा मूत्रकृच्छ्र प्रवाहिका गुदभ्रंश बवासीर नाशक धूप .... . .... , बवासीर ग्रहणीरोग वायुरोग बवासीरकृत मत्सोंके हरणार्थ वर्ती ।
नाशक प्रयोग .... .... " ___ तथा लेप .... .... .... ५५२ विड्वात संग्रह हितार्थ मांसरस .... , गुदाके मस्सों विनाशार्थ लेप .... , अग्निवर्द्धक तथा गुदाके मस्से शममस्सोंसे रक्तनिकासन विधि .... १५३ । नार्थ सरलोपचार .... .... ५६० मस्से जीतनार्थ तक .... .... , | अनुवासन बस्ति .... .... ५६१
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