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(४२४)
। अष्टाङ्गहृदयेनाडी नख विष्ठा मूत्र नेत्रका कालापन और रूखापन तथा लालपना ॥ ९॥ और शोजा अफारा मुखका विरसपना विट्शोष पशली और शिरमें शूल उपजते हैं और पित्तसे उपजे पांडुरोगमें नाडी, नख, विष्ठा, मूत्र, नेत्रका पीलापन और हरापन और ज्वर अंधेरी ॥१० ॥ तृषा, पसीना, मूर्छा, शीतल पदार्थकी इच्छा, दुर्गधपना मुखका कड़वापन विष्ठाका भेद शरीरके भीतर दाह उपजते हैं, कफसे उपजे पांडुरोगमें नाडी, नख, विष्ठा मत्रमें सफेदपना ॥ ११ ॥ और तंद्रा और मुखमें लवणका स्वाद रोमहर्ष स्वरक्षय खांसी छर्दैि उपजते हैं सन्निपातसे उपजा पांडुरोग तीनों दोषोंके लक्षणोंवाला और अत्यंत घोररूप होताहै ॥ १२॥ कसैली माटी वातको तथा खारी माटी पित्तको और मीठी माटी कफको दूषित करके और रसआदि धातुओंको दूषितकरके पीछे रूखेपनेसे भोजन कियेको विशेष करके रूक्षितकरै है ॥ १३ ॥ और कच्चीही वह माटी स्त्रोतोंको चारों तर्फसे पारतकर तथा रोकिकर पहिलेकी तरह पांडुरोगको करती है तिस पांडुरोगसे सूजेहुये नाभी पैर मुखवाला मनुष्य ॥ १४ ॥ कीडोंसे संयुक्त और भिन्नहुए रक्त और कफसे मिले हुए विष्टाको गुदाकेद्वारा छोडता है॥
यः पाण्डुरोगी सेवेत पित्तलं तस्य कामलाम् ॥१५॥ कोष्टशाखाश्रयं पित्तं दग्ध्वासृङ्मांसमावहत् ॥ हारिद्रनेत्रमूत्रत्वङ्नखवक्रशकृत्तया ॥१६॥दाहाविपाकस्तृष्णावान्भेकाभो दुबेलेन्द्रियः ॥ भवेत्पित्तोल्बणस्यासौ पाण्डुरोगादृतेऽपि च ॥१७॥ उपेक्षया च शोफाढ्या सा कृच्छ्रा कुम्भकामला॥
और जो पांडुरोगी मिरच आदि पित्तलद्रव्योंको सेवताहै तिस मनुष्यके ॥ १५॥ कोष्टकी शाखाओंमें रहनेवाला पित्तरक्त और मांसको दग्धकरके कामलारोगको उपजाता है, तिसकरके हलदीके रूपके नेत्र, मूत्र, त्वचा, नख, मुखं, विष्टा, होजाते हैं ॥ १६ ॥ दाह और अभिपाकसे संयुक्त तृषावाला मेंडकके समान कांतिवाला और दुर्बलरूप इंद्रियोंवाला मनुष्य होजाता है और पांडुरोगके विनाभी पित्तकी अधिकतावाले मनुष्यके कामलारोग होजाता है ॥ १७ ॥ जो कामला रोगकी चिकित्सा नहीं की जावे तब शोजाकी उत्पत्ति होनसे कुंभकामलारोग कहाता है, यह कष्टसाध्य है। हरितश्यावीतत्वं पाण्डुरोगे यदा भवेत् ॥ १८॥ वातपित्ता
भ्रमस्तृष्णा स्त्रीष्वहर्षो मृदुलरः॥ तन्द्राबलानलभ्रंशोलोढरं तं हलीमकम् ॥१९॥ अलसं चेति शंसन्ति तेषां पूर्वमुपद्रवाः॥ शोकप्रधानाः कथिताः स एवातो निगद्यते ॥२०॥ पित्तरक्तकफान्वायुर्दुष्टोदुष्टान्बहिः शिराः ॥ नीत्वा रुद्धगतिस्तैर्हिकुत्त्विङ्मांससंश्रयम् ॥ २१ ॥ उत्सेधं संहतं शोफ तमाहु
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