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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२७२) अष्टाङ्गहृदयेकर्मके अंतमें घृत दूध शालीचावलके भोजन करनेवाला पुरुष पहिले ज्योतिषशास्त्रके वेत्ताकी आज्ञाके अनुसार दाहिने पैरकरके ॥ ३२ ॥ आरोहेत्स्त्री तु वामेन तस्य दक्षिणपार्वतः ॥ तैलमाषोत्तराहारा तत्र मन्त्रं प्रयोजयेत् ॥ ३३॥ शय्यापै आरोहित होवे और स्त्री बॉयें पैरसे शय्यापै आरोहित होवे परंतु पुरुषकी दाहनी तरफसे आरोहित होवे और वह स्त्री तेल उडद इन्हें।करके अधिक भोजनको करनेवाली हो, पीछे तहां वक्ष्यमाण मन्त्रको प्रयुक्त करै ॥ ३३ ॥ अहिरसि आयुरास सर्वतः प्रतिष्ठासि धाता त्वाम् ॥ दधातु विधाता त्वां दधातु ब्रह्मवर्चसा भवेति ॥ ३४॥ शेष भी तुही है, आयुभी तुहीं है, सबतर्फसे प्रतिष्ठितभी तुही है, धाता तेरेको धारण करो और विधाता तेरेको धारण करो, अब ब्रह्मके तेजसे संयुक्त हो ॥ ३४ ॥ ब्रह्मा बृहस्पतिर्विष्णुः सोमः सूर्यस्तथाश्विनौ ॥ __ भगोथ मित्रावरुणो वीरं ददतु मे सुतम् ॥ ३५॥ ब्रह्मा, बृहस्पती. विष्णु, चंद्रमा, सूर्य, अश्विनीकुमार, भग, मित्र, वरुण ये सब मेरे अर्थ वीररूप पुत्रको देओ॥ ३५॥ सान्त्वयित्वा ततोऽन्योन्यं संविशेतां मुदान्वितौ ॥ उत्ताना तन्मना योषित्तिष्ठेदङ्गैः सुसंस्थितैः ॥ ३६ ॥ पीछे प्रियवचनआदिकरके आपसमें आनंदको प्राप्त होके आनंदसे युक्तहुये मैथुन करने लगे तहां सीधे शयनको करनेवाली और मैथुनमें मनको लगानेवाली वह नारी सुंदर स्थितहुये अंगोंकरके स्थित रहै ।। ३६॥ तथा हि बीजं ग्रहाति दोषैः स्वस्थानमास्थितैः॥ लिङ्गन्तु सद्योगर्भाया योन्यां बीजस्य संग्रहः ॥३७॥ और जैसे अपने अपने स्थानों में स्थित हुये दोषोंकरके वह स्त्री बीजको ग्रहण करै तैसेही स्थित रहै और जब योनिमें बीजका संग्रह होता है तब तत्काल गर्भको धारण करनेवाली स्त्रीके जो लक्षण हैं तिन्होंको कहते हैं ॥ ३७॥ तृप्तिर्गुरुत्वं स्फुरणं शुक्रास्त्राननुबन्धनम्॥ हृदयस्पन्दनं तन्द्रा तृड्रग्लानिर्लोमहर्षणम् ॥ ३८॥ तृप्ति, भारीपन, कोखका फुरना, वीर्य और रक्तका प्रवर्तन वीर्य और रक्तका योनिके मुखसे नहीं निकसना, हृदयका स्पंदन, तंद्रा, तृषा, ग्लानि, रोमोंका हर्षण ये सब होवे तब गर्भवती स्त्री जाननी ॥ ३८॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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