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विषय.
पृष्ठ.
(२८)
अष्टागहृदयसंहिताकी
पृष्ठ. विषय. औषधग्रहणमंत्राः
तिसका कारण .... ... .... वमनमें हीनवेगको पिप्पल्यादिसेवनसे- स्नेह स्वेदन करनेसे दोष .... ....
पुनः पुनः वमन .... .... १७० शुद्धिकाकाल ६० .... ... वांतपरिचर्या .... .... ....
अथैकोनविंशोऽध्यायः १९ वांतिवेगकी संख्या ....
अथ बस्तिविधिनाम अध्यय .... १७६ पेयाविचार .... ....
वातमें बलिष्ठदो में बस्तिकरना .... धमनका श्रेष्ठाश्रेष्ठत्वविचार....
बस्तिके तीन भेद .... वेगापनयादि .... .... वामितको विरेचन ....
निरूहबस्तिसे गुल्मादि साधन बहुपित्तकोष्ठको दूधसे विरेचन ....
निरूहबस्तिको अयोग्य रोगी विरेचनके अप्रवृत्तिमें उष्णांबुपान ....
आस्थापनयोग्य रोगी .... उत्थानमें पुनः विरेचनादि ....
निरूह अरु अन्वासनकायंत्र
यंत्रका प्रमाण .... ... .... अदृढस्नेहकोष्ठको दशदिनके पश्चात् विरेचन ....
नेत्रके प्रमाणकी वृद्धि .... ... .... .... अयोगलक्षण .... .... ...... बस्ति करनेकी रीति .... तिससे विपरीतयोगलक्षण .... निरूहमें मात्रा कल्पना .... अतिविरिक्तको जलस्त्राव ....
अनुवासनमें मात्रा कल्पना सम्यग्विारक्तको धूमवर्ण्य वमनके समान बस्तिमें अल्पभोजन ....
अहोरात्रपर्यंत उपेक्षा .... .... पीतभेषजको लंघन
अनुवासनकी रीति ... .... " लंघनगुण . .... ..... ....
प्रतिसमयबस्तिके विधिका ज्ञान .... अग्निमांद्यमें पेयादि ....
वातादितको अनुवासन ... १८४ स्त्रतादिकोंको पेयानिषेध .... .... चमनके पकताको प्रतीक्षा न करनी ।
तहां सम्यग्योगहीनयोग अतियोग.... " भेदनभोज्योंकी योजना ....
अनुवासनमें बस्तिकी संख्या ... १८५ अज्ञातकोष्ठको मृदु औषध
तीन प्रकारकी वस्तिको उपयुक्त करै " चलदोषको निकासते रहे.... ....
बस्तिके तीस भेद .... .... नही निकासे दोषोंको मारकत्व .... "
प्रत्येक भेदके लक्षण और कर्म .... दीप्ताग्निको प्रथमबस्तिदेना .... बालादिकनको मात्राबस्ति ... विरेचनको योग्यरोगी ... .... १७५ उत्तरबस्तिको योग्यता .... .... · वमनादिकनके मध्यमें पुनःपुनःस्वेद " । उत्तरबस्तिमें नेत्रका प्रमाण ....
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