________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सूत्रस्थानं भाषाटीका समेतम् ।
सुरसयुगफणिज्जं कालमालाविडङ्गं खरबुसवृषकर्णीकट्फलं कासमर्दः ॥ क्षबकसर सिभाङ्ग कामुका काकमाचीकुलहलविषमुष्ठी भूस्तृणो भूतकेशी ॥ ३० ॥
दोनों तुलसी - मिरच - कालीआजवला - वायविडंग - मरुवा - मूशाकर्णी - कायफल - कसौंदी - नकछी कनी - तुंबर पत्रिका - भारंगी - रक्तमंजरी -मकोह अलंबुसा - बकायन - अतिछत्रासुगंध - जटामांसी ३० ॥ सुरसादिगणः श्लेष्ममेदः क्रिमिनिषूदनः ॥
प्रतिश्यायारुचिश्वासकासन्नो व्रणशोधनः ॥ ३१ ॥
यह सुरसादिगण कफ-मेद- कृमि -प्रतिश्याय - अरुचि - श्वास-खांसीको नाशता है और व्रणको शोधता है ॥ ३१ ॥
सुष्ककस्नुग्वराद्वीपिपलाशधवशिंशपाः ॥
गुल्ममेहाश्मरी पाण्डुमेदोऽर्शः कफशुक्रजित् ॥ ३२ ॥
मोपावृक्ष - थोहर - त्रिफला - चीता - केशू - वत्रके फूल - शीशम यह मुष्ककादिगण गुल्म- प्रमेह - पथरी- पांडुरोग—मेददोष-बवासीर- कफ वीर्यको जीतता है ॥ ३२ ॥
वत्सकमूर्वाभाङ्गकटुकार्मारचं घुणप्रिया च गण्डीरम् ॥ एलापाठाजाजीकहङ्गफलाजमोदसिद्धार्थवचाः ॥ ३३ ॥
कूडा मूर्वा- भारंगी - कुटकी - मारंच अतीश - थोहर - इलायची - पाटा - जीरा - अरलुकफल-अजमोद और सरसों-वच ॥ ३३ ॥
जीरकहिङ्गुविडङ्गं पशुगन्धा पञ्चकोलकं हन्ति ॥ चलकफमेदः पीनस गुल्मज्वरशूलदुर्नाम्नः ॥ ३४ ॥
( १५१ )
स्याहजीरा - हींग- वायविडंग- तुलसी - पीपल - पीपलामूल - चव्य- चीता - सूंठ यह वत्सकादिगण चल (वायु) - कफ - मेद - पीनस - गुल्म- ज्वर - शूल ववासरिको नाशता है ॥ ३४ ॥ वचाजलददेवाह्ननागरातिविषाभयाः ॥
हरिद्राद्वययष्ट्याह्नकलशीकुटजोद्भवाः ॥ ३५ ॥
वच - नागरमोथा - देवदार - सूंठ - अतीश - हरदै - हल्दी - दारूहल्दी- मुलहटी - -पृश्निपर्णीइंद्रयव ॥ ३५ ॥
चाहरिद्रादिगणावामातीसारनाशनौ ॥ मेदःकफाढ्यपवनस्तन्यदोषनिवर्हणौ ॥ ३६ ॥
For Private and Personal Use Only