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(१४)
अष्टाङ्गहृदयसंहिताकी... विषय. .. . ___“पृष्ठ, विषय. . चिकित्सितस्थान ... ........ १७ । देवाधर्चन ।
आर्थयोंका अप्रत्याख्यान .... कल्पस्थान उत्तरतंत्र ४८ .... ....
संपदादिकोंमें समत्व
सत्यभाषण द्वितीयोऽध्यायः २.
सुवर्तन अथदिनचर्याध्यायः . ....
शत्रुआदिका अप्रकाशन ब्राह्ममुहूर्तमें उत्थान .... .... "
लोकरंजनमें दक्षता स्वस्थवृत्ति . . .... ....
इंद्रियोंका पीडनलालननिषेध दंतधावन ...
धर्मादिशून्यों में अप्रवृत्ति ... अजीर्णनकुंभोजननिषेध
सर्वधर्मोमें मध्यमरीतिसे वर्तन सौवीराञ्जन .... .... ... "
स्वच्छत्व ..... ... रसांजन .... ... ....
स्नानादिशील · .... नस्यादिसेवा ..... ....
संचारक्रम क्षतादिमान्कू तांबूलनिषेधः...
रात्रीमें संचारक्रम ... ... अभ्यंग .... .... ....
देवालयादिकोंका अनतिक्रम . कहाँ २ अभ्यंगवर्जन
बाहुसे नदीतरणादिनिषेध ... व्यायामगुण ....
क्षुत्यादिकरनेकाप्रकार .... व्यायामनिषेध ...
नासिकाविकोषणादिनिषेध .... देहमर्दन . ...
विगुणांगचेष्टादिनिषेध .... अतिव्यायामानिषेध ..... ....
रात्रिभेचत्त्वरादिसेवानिषेध ..... उद्वर्तनकेगुण
सूनास्थानादिसेवानिषेध .... स्नानकेगुण . ....
सूक्ष्मदर्शनादिनिषेध . ... उष्णजलकरकेपारषेककरण....
सामनेकावायुआदिकावर्जन ... स्नानमेंअयोग्य .... ....
होनादिसेवानिषेध ...... जीर्णमें हितभोजन.... ....
सध्याभोजनादिनिषेध .... धर्मसेवा .... ... ... ... २२ गात्रवाद्यादित्याग .... मित्रामित्रकी सेवा अरु वर्जन
मद्यानतिसक्ति .... ... दशविधपापकर्मनकात्याग .... ... "
स्त्रियों में विश्वासस्वातंत्र्यवर्जन अनुपजीविकादिकोंका अनुवर्तन .... "
सर्वचेष्टाओंमें उपदेशकत्व ... कीटादिकोंमें आत्मदृष्टि .... ..., लौकिकार्थपरीक्षकत्व ... ....
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